Monday 31 July 2017

CK Shrestha's Poem, O MAMTA





ये कविता उन सभी उत्तराखंडी आंदोलनकरियों को उत्तराखंड आंदोलन की याद दिलाती है जब वह सब मुलायम मायावती के खिलाफ आंदोलन किया करते थे उन्हें ललकारते थे, कल जंतर मंतर में गोरखालैंड की मांग को लेकर गोरखालैंड के अंदोलनकरियों द्वारा एक विशाल सभा का आयोजन किया गया था वही गोरखालैंड की एक कविता वहां के प्रसिद्ध कवी "सी के श्रेष्ठा" जी से सुनने को मिली ऐसे, जो ममता को ललकार रहे थे, उनकी ये कविता सैकड़ों लोगों में जोश भर रही थी मैंने उसे यूं ट्यूब से ढूंढा और आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ आप भी सुनिए, इस कविता को और शेयर जरूर करना

Sunday 30 July 2017

बल मछली जल की रानी है #©® धर्मपाल रावत




बल मछली जल की रानी है
अर् जीवन उसका पानी है...

दो-चार किलो तक की
मिली तो बल खानी है
सौ किलो से ऊपर हुई तो
कभी न जीभ ललचानी है...

अगर गलती से पकड़ ली
तो फ़ोटो नहीं खिंचानी है
अगर खींची तो भूल से भी
फेसबुक पे नहीं चुलानी है...

फ़ोटो डाल के फ़ेसबुक पे
मुसीबत न कभी बुलानी है
प्रशासन है हमारा चौकन्ना
क्यों जेल की हवा खानी है...

तुम गँवार हो बल तुम्हारी
कीमत कब किसने जानी है
गाय-बकरी इंसान की भले
जानवरों के लिए कुर्बानी है...

खा लो भले असूज-मंगसीर में
पर सौँण में बिल्कुल नहीं खानी है
भैर बन जाना तुम देवभूमि के देव
भितर भले ल्वतगी खूब चपानी है...

जब कोई नरभक्षी करता हानि है
तब न किसी को कोई परेशानी है...
बल मछली जल की रानी है
अर् जीवन उसका पानी है....

©® धर्मपाल रावत
ग्राम- सुन्दरखाल, ब्लॉक- बीरोंखाल
जिला- पौड़ी गढ़वाल-246169.



Saturday 29 July 2017

उत्तराखंड के राज्य वृक्ष का ये फूल आपको कई बीमारियों से राहत दिला सकता है।


आजकल हर कोई अलग-अलग प्रकार के रोगो से ग्रस्त है। यदि आप एनीमिया के रोगी है, और अत्यधिक टॉनिक और दवाइयां खाने के बावजूद भी आपको इस बिमारी से राहत नहीं मिल रहा तो आज हम आपको बताने जा रहे है एक लाल फूल के बारे में। ये लाल फूल उत्तराखंड का प्रसिद्ध फूल है। इसका नाम बुरांश है। 

उत्तराखंड के राज्य वृक्ष का ये फूल आपको कई बीमारियों से राहत दिला सकता है। बुरांश नाम के इस फूल में विटामिन ए, बी-1, बी-2, सी, ई और के मौजूद होने की वजह से ये व्यक्ति का वजन नहीं बढने देता साथ ही कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल रखता है।
विटामिन बी कॉम्पलैक्स व खांसी, बुखार जैसी बीमारियों में भी बुरांश का जूस दवा का काम करता है। बुरांश का सेवन करने से हृदय रोग नियंत्रण, खून बढ़ने के साथ शारीरिक विकास होता है।
दिल से जुड़ी समस्या इस लिंक पर देखिये गढ़वाली सुपर हिट फिल्म भाग-जोग
बुरांश का जूस हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए बहुत लाभदायक है। इस फूल का जूस दिल से जुड़े सभी विकारों को दूर करने में मदद करता है। इस फूल में ​Quercetin और Rutin नामक पिंगमेंट पाए जाने के कारण बुरांश अचानक से होने वाले हार्ट अटैक के इस लिंक पर देखिये फ्युलोडिया ओर्जिनल गीत खतरे को भी कम कर देता है।


हड्डियों में दर्द
बढती उम्र के साथ जोड़ो में दर्द की समस्या भी होने लगती है हड्डियों में होने वाले दर्द के लिए भी बुरांश का रस बहुत लाभदायक है।
त्वचा रोगों से बचाता है इस लिंक पर देखिये नरेंद्र सिंह नेगी जी नया गीत जो जल्द आपके बीच आने वाला है
बुरांश के फूल का शर्बत पीने से रक्त कोशिकाओं के बढ़ने के साथ-साथ ये जूस दिमाग को भी ठंडक देता है। इतना ही नहीं ये जूस एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण त्वचा रोगों से भी बचाता है। 
पोषक तत्वों की पूर्ति  
इस फूल का सेवन करने से शरीर में लौह तत्त्वों की कमी दूर होती है। साथ ही शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता

"आस" बखरी और एक बच्चे की कहानी है कुमाउनी फिल्म



"ज्योति फिल्म एंटरटेनमेंट" की द्वारा बनायीं गयी समाज में ब्याप्त बली प्रथा पर बच्चो के माध्यम से दर्शकों के मन में गहरी चोट करती है। फिल्म गोलू और सोनू के इर्द गिर्द घुमती है। गोलू नाम का बच्चा जो अपनी बखरी सोनू को बहुत प्यार करता है। पर गोलू के पिता सोनू को बलि के लिए किसी अन्य आदमी को बेच देते है। जब गोलू को पता चलता है कि उसकी बखरी को मन्दिर में बलि के लिए बेच दिया है। तो वह और उसका दोस्त मौका देखते ही बखरी को मंदिर से चोरी कर देते है। उसके बाद क्या-क्या घटना क्रम घटित होते है। क्या गोलू सोनू को बचा पायेगा। या बखरी की बलि दी जाएगी। इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

 फिल्म की कहानी दर्शक को बंधे रखती है। बच्चो ने अपनी मसूमियत से फिल्म में चार चाँद लगाये है। यह फिल्म आपके बच्चो को कुमाउनी भाषा सिखाने में भी मददगार साबित हो सकती है। इसलिय आप एक बार फिल्म जरुर देखें।
 

समाज के युवा वर्ग को सन्देश देता ढोल रसिया गीत # Dhol Rasiya Garhwali Song

 ढोल रसिया एक ऐसा गीत जो अपने आप में एक छोटी सी कहानी को समेटे हुए है गायक राजलक्ष्मी "गुड़िया" और विजय भारती के स्वरों में और Ashish Nava के संगीत से सजा यह शानदार लोकेसन में फिल्माया हुआ गीत एक समाज को एक सन्देश भी देता है,
जहां आज के दौर में नयी पीढ़ी के लड़के जाती के बंधनो को तोड़कर एक दूसरे से प्रेम करने

और जब उनके समाज उनकी जाती को यह प्रेम मंजूर नहीं होता है तो वह अपनी इज्जत के खातिर ऑनर किलिंग करने में भी नहीं हिचकते है वही ढोल रसिया गीत के नायक और नायिका जो अलग अलग जाती के किसी प्रकार से अपने समाज के लिए अपने प्रेम की बलि चढा देते है

Tuesday 25 July 2017

दुनिया में सबसे अच्छा उत्तराखंड की बद्री गाय का दूध आज की महेमान पोस्ट में पढ़िए संवाद मिडिया के माध्यम से पहाड़ी गाय के दूध पर किया गे शोध आज की महेमान पोस्ट में पढ़िए संवाद मिडिया के माध्यम से दुनिया में सबसे अधिक गुणकारी एवं निरोग दूध बद्री गाय (पहाड़ी गाय) का है। यूकॉस्ट (उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद) व आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) रुड़की के वैज्ञानिकों के बद्री गाय के दूध पर किए गए शोध से यह तथ्य सामने आया।



पहाड़ी गाय के दूध पर किया गे शोध आज की महेमान पोस्ट में पढ़िए संवाद मिडिया के माध्यम से दुनिया में सबसे अधिक गुणकारी एवं निरोग दूध बद्री गाय (पहाड़ी गाय) का है। यूकॉस्ट (उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद) व आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) रुड़की के वैज्ञानिकों के बद्री गाय के दूध पर किए गए शोध से यह तथ्य सामने आया।

Thursday 13 July 2017

जुनूनी पहाड़ी युवा अनिल रावत


पहली बार मुझे एक ऐसे जुनूनी पहाड़ी युवा से मिलने सौभागय प्राप्त हुआ | जिसने सरकार की छोटी मदद से अपने साथ- साथ गांव के कई परिवार के लिए गांव में ही रोजगार जुटा दिया, जी यह है अनिल रावत जी, इनसे


 मै पौड़ी में चकबंदी जनजागरण कार्यक्रम में मिला था, अनिल एक सफल किसान की भूमिका निभा रहे, आज अनिल रावत साग सब्जी के अलावा मुर्गी पालन, मधुमखी पालन, मछली पालन, के आलावा जल्द कीवी की पेड़ भी अपने खेतों में लगाने वाले है, इस गाने में जो अहम् किरदार है वह खुद अनिल और उनकी टीम कर रही है,
 
इस लिंक पर देखिये नरेंद्र सिंह नेगी जी नया गीत जो जल्द आपके बीच आने वाला है


Wednesday 12 July 2017

मै मेहनती हूँ ! पर दूसरे के लिए ।।

















गौड़ी भैंस मै पालूंगा नहीं,
गोवर मै डालूँगा नहीं।

गाय बखरी चराऊंगा नहीं,
सब्जी की रेडी लगाऊंगा नहीं।
हल मै चलाऊंगा नहीं,
भैस मै पिजाऊंगा नहीं।
इस लिंक पर देखिये गढ़वाली 
सुपर हिट फिल्म भाग-जोग
फल फूल मै उगाऊंगा नहीं,
चाय की दुकान लगाऊंगा नहीं।,
मिठाई मै बनाऊंगा नहीं ।

घास मै काटूँगा नहीं,
उन मै माठुन्गा नहीं।
चिनाई मै करूंगा नहीं,
पैरा मै धरुंगा नहीं।।
इस लिंक पर देखिये नरेंद्र सिंह नेगी जी
आने वाला है
घोड़े मै चलाउंगा नहीं,
ढोल मै बजाउंगा नहीं।
ज्युड़े मै बनाउंगा नहीं,
पत्थर मै उठाऊंगा नहीं।
अणस्योळों लगाऊंगा नहीं,
खाना मै पकाऊंगा नहीं।
फिर क्या करेगा ?
नौकरी ढून्ढ़गा
प्रदेश में दूसरे के घर को चलदा करूँगा
घर अगर बंजर हो जायेगा
कभी-कभी देवता के लिए आकर घडेला धरुंगा।।
जब खूब पैंसे कमा लूँगा
तब गाँव आकर रह लूँगा।

(फिर तो भूल जा!)

प्रदीप रावत "खुदेड"

Tuesday 11 July 2017

फिर पहाड़ में कौन रहेगा ? फिर पहाड़ी खुश !


 

मै पहाड़ी डॉक्टर हूँ,
पर पहाड़ नहीं जाऊंगा।
मै पहाड़ी मास्टर हूँ,
पर पहाड़ में नहीं पढ़ाऊँगा।।

मै पहाड़ी बाबू हूँ,
पहाड़ के दफ्तर में नहीं बैठना है।
यू पी के वक्त पहाड़ में नौकरी की ललक थी,
पर अब मुझे पहाड़ नहीं लौटना है।।

मै पहाड़ी वकील हूँ,
पहाड़ में सेवा नहीं दूंगा।
मै पहाड़ी सामाजिक आदमी हूँ,
पहाड़ के लिए सोचूंगा,
पर शहर में ही रहूंगा।
शहर में चिन्तन मंथन करूंगा।।

पहाड़ी गीत गायक हूँ,
शहर से ही पीड़ा गाऊंगा।
पहाड़ी साहित्याकर हूँ,
शहर से ही लिखना चाहूंगा।।
पहाड़ी बिजनेस मैन हूँ,
पर धंधा शहर में ही करंगा।
खनन वहां की नदियों से करके,
वहाँ के लोगो में मनमाने दाम धरूँगा।।

पहाड़ी पत्रकार हूँ,
पर शहर से ही खबर लिखूंगा।
सरकार से एड लेकर,
लम्बी गाडी में पहाड़ घूमता दिखूंगा।।
विधायक संसद पहाड़ से बना हूँ,
पर शहर में दरवार लगाऊंगा।
जब कोई आपदा आएगी वहां,
तभी मै चमचों साथ जाऊँगा।।

जो पहाड़ में बचे है वह क्या करेंगे,
बस मौक़ा मिलते वह भी यहाँ से चलेंगे।
 
फिर पहाड़ में कौन रहेगा ?
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अग्रवाल स्वीट, नेपाली मोमॉज
पंजाबी रेस्टोरेंट और गुप्ता लॉज।
नाज़िमाबाद बैंड, राजस्थानी लुहार।
यूपी टूर ट्रेवेल्स और गुजरती सुनार।।
पान की पिक और विहारी खैनी,
यादव प्रोपर्टी और बिल्डर सैनी।
पारस दूध और हलाली मीट वाला,
बंगाली डाक्टर और लेदर सीट वाला।

फिर पहाड़ी खुश !
=============
अपने मुसीबतो का पहाड़,
देशीयों के गले फंसा दिया है।
दिल्ली पंजाब हल्द्वानी देहरादून में,
इनकी पाचस गज पर मकान बना लिया है।
अब ज़िन्दगी आराम से कटने लग जाएगी,
बच्चो की ज़िन्दगी सवारने लग जाएगी।

प्रदीप रावत "खुदेड"
 

Wednesday 5 July 2017

अरुण सजवान की छोटी सी शुरुआत से पहाड़ों के खेतों को आबाद करने की कोशिश


अब चकबंदी टीम के युवा अब अपने-अपने खेतों  पर काम करने लगे है। चकबंदी टीम से वैसे तो बहुत सारे लोग जुड़ते है । पर टीम में छनकर वही आता है जिसमे वाकई अपनी मात्रभूमि के लिए दर्द होता है। पिछली बार मैंने आपका परिचय अनूप पटवाल से कराया था। जो अपने बंजर खेतो में किवी और अखरोट की पौध लगाकर स्वरोजगार की तरफ कदम बढ़कर शुरुआत कर चूका है। आज आपका परिचय चकबंदी कार्यकर्ता अरुण सजवाण से कराने जा रहा हूँ । जिसने अपने खेतों में नीबू के पेड़ लगाकर अच्छी शुरूआत कर दी है। । अरुण सजवान उत्तराखंड सरकार के एक डिपार्टमेंट सरकारी नौकरी करते है। अरूण सजवान ने अन्य सरकारी कर्मचरियों की तरह अपने खेतो को बंजर छोडकर देहरादून या अन्य जगह बसने की नहीं सोची। अरुण से सरकारी नौकरी करने वालो के लिए एक प्रेरणा स्रोत है जो नौकरी लगने के बाद  खेती को त्याग देते है। इस लिंक पर देखिये गढ़वाली सुपर हिट फिल्म भाग-जोग


पढिये अरुण की कलम से ही उनकी आंशिक उपलब्धि। 
एक लंबे समय के बाद एक छोटी सी शुरुआत की है,एक सपना था कि जो खेत बंजर हो रहे है उनको रोकने की कोशिश की जाये। मुझे प्रकृति से बेहद लगाव है,पेड़ पौधे लगाना मेरा शोक है। फलदार वृक्ष ज्यादा अच्छे होते है लेकिन जानवर इसे बहुत नुकसान पहुंचाते है। इसके लिए सबसे बेस्ट तरीका था कि निम्बू की पौध लगाये जाये क्योंकि इसको न पशु खा पाते है न बन्दर न सुंवर।पिछले एक साल से हर रविवार को इसकी तैयारी होती थी,और आख़िरकार कल वो दिन आया जब इसमें 50 निम्बू के पौधे रोपे गये। निम्बू उत्तराखण्ड के सर्वोतम नर्सरी में से एक निर्मल नर्सरी से लिए गए जो देहरादून से 40 किलोमीटर लगभग हिमाचल बार्डर की और है।   इस लिंक पर देखिये नरेंद्र सिंह नेगी जी नया गीत जो जल्द आपके बीच आने वाला है
अभी हाल में ही निर्मल जी ने एक बड़ी उपलब्धि अखरोट की कलम पर फल लगाकर प्राप्त की है। एक किसान एक बच्चे की तरह पेडो को ट्रीट करता है। उन्हें धुप से बचाता है,उन्हें पानी समय पर देता है। उनके लिए खाद के इंतजाम करता है,उनमें अलग अलग तरह के कीटनाशक इस्तेमाल करता है जब कभी पेड़ खराब होने लगते है वो एक डॉक्टर की तरह उसका इलाज करता है,और तब जाकर सैकड़ो फलदार वृक्षो की नर्सरी और उन्नत किस्म के पेडों की नर्सरी तैयार होती है।हम अलग अलग लोग करीब 600 पेड़ 
के आसपास यहां से लाये। (आपको भी जरूरत पड़े तो बेस्ट क्वालिटी के पेड़ आपको यहां मिल जायेंगे एक आकर्षक दाम पर) अब बारी थी इन्हें रोपने की, समय कि कमि के कारण ज्यादा सफाई तो नही हो पाई फिर अपनी तरफ से अच्छा ही किया।और अपनी ये मेहनत मैं समर्पित करता हु उन आलोचकों को जो कहते थे की दिल्ली में रहकर बंजर खेतो की बाते नही करते, और आज ख़ुशी है कि वो बोलते ही रहे और मैंने अपने दिल की तसल्ली कर ली ;-) उनके लिए मैं इतना ही कहना चाहता हूं कमी मेरे पास समय की है जोश और लगन की नही

Sunday 2 July 2017

सभी ग्राम साथियो #_अति_महत्वपूर्ण_जानकारी लिंक :- https://goo.gl/EQLZRP दोस्तो इस लिंक पे आप अपने गांव मे हुए सभी कार्यो की जानकारी देख सकते है किस काम मे कितना पैसा खर्च हुआ . मैं यह देखकर हैरान हो गया कि एक छोटे से भी काम के लिए सरकार कितना पैसा देती है। अब हमको जागरूक होने की जरूरत है .सभी जानकारियां सरकार ने ऑनलाइन वेबसाइट पे उपलब्ध करा दी है बस हमे उन्हें जानने की जरूरत है यदि हर गांव के सिर्फ 2-3 युवा ही इस जानकारी को अपने गांव के लोगो को बताने लगे समझ लो 50%भ्रस्टाचार तो ऐसे ही कम हो जाएगा। इसलिए दोस्तो आपसे गुजारिश है कि आप अपने गांव में वर्ष 2016-17 मे हुए कार्यो को जरूर देखें और इस लिंक को देश के हर गांव तक भेजने की कोशिश करे ताकि गांव के लोग अपना अधिकार पा सके आखिरी रैबार ! (गढ़वाली कविता) - प्रदीप रावत




गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली

 गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली        गढ़वाली भाषा का प्रारम्भ कब से हुआ इसके प्रमाण नहीं मिलते हैं। गढ़वाली का बोलचाल या मौखिक रूप तब स...