वह सुमन ही था !
जो मुरझाकर भी अभी खिला हुआ हैं।
वह सुमन का ही बीज है !
जिससे हमें सत्य, संघर्ष, का सहास मिला हुआ है।
वह सुमन ही था !
जिसने लोकहित में अपनी जवानी खपा दी।
वह सुमन ही तो था !
जिसने जुल्मियों को जनमानस की ताकत बता दी ।
वह सुमन ही था !
जिसने इतिहास में एक नया अध्याय लिखा था।
वह सुमन ही तो था !
जो लाख जुल्म पर भी बिल्कुल नही झुका था।
ऐसे सुमन को मै !
उनके चरणों में श्रदा सुमन चढ़कर प्रणाम करता हूँ ।
ऐसे श्रीदेव को मैं
महादेव मानकर झुककर नमन करता हूँ
प्रदीप रावत खुदेड़
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