सोमवार, 6 नवंबर 2017

मेरी गगवाड़स्यूं घाटी My Gagawadsein Valley By Pardeep Singh Rawat #Khuded


सुन्दर रमणीय समृद्ध है मेरी गगवाड़स्यूं घाटी।
शत शत वंदन करता हूँ मै!! तुझे हे पितृ थाती!!

सर पर कंडोलिया, नागदेव, विराजकर देते है, देव छावं
मुखपटल विराजे ननकोट बौंसरी नौटियाल थपलियाल गाँव
बलोड़ी बुडौली डांग पयाल गण्यगाँव सुशोभित है तक्षुपटल 
तेरे भुजाबल उज्याड़ी गहड़ गगवाड़ा,ल्वाली है केंद्र स्थल

जन के मुख पर हस्य बिखेरता "घनानंद" की ये जन्मथाती
माथे पर लगाता हर कोई श्रदालु देवलेश्वर की पवित्र माटी 
कई वीर सपूत  तेरे  सीमा पर तत्पर प्राण करने को अर्पण
बलदेव प्रसाद नौटियाल अशीष नैथानी तेरे साहित्य दर्पण

ल्वाली कालेश्वर है यहाँ बिद्या के बहुत पुराने पवित्र स्थान
बिद्यार्थियों के उज्जवल भबिष्य का मिलता है यहाँ ज्ञान
मेजवानी करता फुटवॉल कुम्भ की यहाँ हर वर्ष उज्याड़ी
देश में चमक विखेरते है आज इस घाटी के कई खिलाडी

नेगाणा पाबौ सुमेरपुर ग्राम है, सुख सम्पदा से धनवान 
चमल्याखाल निनारा कड़ाकोट बढ़ाते तेरा मान सम्मान
मौरी कौथिग,पांडव नृत्य, विख्यात तमलाग कुंजेठा गाँव
मुझ तुच्छ कलमकार की जन्मभूमि यहीं लेखता जो मन भाव

कबल्ठी के भैरव बाबा का जंगल में तरुवर नीचे यहाँ थान
पूरी घाटी के भक्त दर्शन पाकर करते है बाबा के गुणगान
पेड़ों की छावं हरसुड़ में बसे है महादेव, बैल देते यहाँ दान
पग पग पर भोले बसे यहाँ,महादेव की घाटी देता मै इसे नाम

एक ओर रोंतेली पुंडोरी श्यामपुर, दूजा ओर शीतल गुमाई 
धनाऊँ बणगाँव ने पशुधन और मेहनत से प्रसिद्ध यहाँ पायी
गुमाई जैविक अरबी में तो बणगाँव यहाँ प्याज में अब्बल
घाटी की शोभा बढ़ाते है बांज बुरांश देवद्वार और काफल

सुंदर रमणीय ग्राम नागोली खपरोली बसे है वनों के तले 
गाँव अंतिम हैं क्वली मंजेडा इस घाटी के लोग है बड़े भले 
आवाहन करता "खुदेड़" जो बहार बस गए छोड़कर घाटी 
विकास करें मिलकर यहाँ लौटकर आ जाओ अपनी माटी

सुन्दर रमणीय समृद्ध है मेरी गगवाड़स्यूं घाटी।
शत शत वंदन करता हूँ मै तुझे हे पितृ थाती।।
प्रदीप रावत "खुदेड़"
06/11/2017

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