Thursday 2 November 2017

अलग व्हेगेन Garhwali Poem By Pardeep Singh Rawat Khuded


जड़ड़ू गोळू एक छौ फौंगा अलग व्हेगेन।
सुण मा आणी पल्या मौ का बी अलग व्हेगेन।।

ज्यू लाट निसड़ू एक च डांगा अलग व्हेगेन।
बाब दादा एक छन पर फंगा अलग व्हेगेन।।

द्यौ  देब्ता एक छन द्यीव धूपोणू अलग व्हेगेन।
अब त दुख बिपदा मा बी उचेणू अलग व्हेगेन।।

खोळ एक च पर पैणू पातू अलग व्हेगेन।
डिंडाळी एक च पर अब बाटू अलग व्हेगेन।।

लुहार एक च पर अब पयार अलग व्हेगेन।
औजी एक च पर अब डडवार अलग व्हेगेन।।

धारू पंदेरू एक च पर अब बंठा अलग व्हेगेन।
छौ एक जू सोनो टूकड़ा वू कंठा अलग व्हेगेन।।

खातु खतोनी एक च पर हिसाब अलग व्हेगेन।
डाक डाकनू एक च पर किताब अलग व्हेगेन।।

हाँ अगर अलग नि व्हे त,
बाबा जी कि छाया माँ जी कू दुलार।
दै दादों की ओट दिशा ध्याण्यू प्यार।।


प्रदीप सिंह रावत ”खुदेड़“

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