Wednesday 1 November 2017

गढ़वाली कुमाउनी भाषा को एक ही गाने में प्रयोग करके इतना सुन्दर गीत बनाया है गुंजन डंगवाल ने

गुंजन डंगवाल उत्तराखंड संगीत में एक स्थापित नाम है जिन्होंने पहाड़ी संगीत में बहुत से प्रयोग किये और वह उन सब में सफल रहे , इस बार वह एक नया प्रयोग करके दर्शक के बीच आये है , उन्होंने उत्तराखंड की दो प्रमुख भाषाओं के शब्दों को बारी बरी करके एक ही गाने में प्रयोग किया है और वाकई में यह गीत बहुत सुंदर बना है, "मै तै पता ना" के इस गीत में आवाज गुंजन डंगवाल और मोहित तिवारी की है और गढ़वाली लिरिक्स कैलाश डंगवाल ने लिखे है तथा कुमाउनी लिरिक्स आशा तिवारी और राजेंद्र कांडपाल ने लिखा है, संगीत में उनका साथ दिया है सुमंत पंवार प्रत्युष मनराल ने. इस प्रकार के प्रयोग से वह दोनों भाषाओँ के दर्शको को अपने गाने सुनने का मौक़ा दे रहे है और उनके दर्शक बढ़ रहे है, गौरतलब है कि गुंजन डंगवाल के संगीत ने चैते की चैतळी को नए अंदाज में अमित सागर की आवाज में दर्शकों के सामने रखा था और यह उत्तराखंड के संगीत में मील का पत्थर साबित हुआ,
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1 comment:

  1. हम ऐसे गीतों को कतई पसंद नहीं करेगें जब गढ़वाली अलग बोली है और कुमांऊनी अलग बोली है तो फिर आप लोग ऐसी खिचड़ी क्यों बना रहे हो..?
    केवल गढ़वाली-कुमाँऊनी गानों में ही ऐसा देखा है मैनें और जौनसारी गानों को हम बहुत पसंद करते है क्योकिं उन्हे इन चीजों से कोई मतलब नहीं होता है और उनके गानें भी अलग होते है।
    धन्यवाद ।

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