जी हाँ अगर यकिन नहीं हो रहा है तो उत्तराखंड के प्रशिद्ध हस्य कलाकार किशना बगोट जी द्वारा चलायी जा रही गौं गुठ्यार की इस सीरीज में उन्होंने पहाड़ के ढोल दमाऊ के साथ, प्रसिद्ध तबला बादक जाकिर हुसैन की जुगलबंदी को बड़े ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है और यह सन्देश लोगों तक पहुंचाया है कि अगर कोई हमारे पहाड़ के ढोलसागर को लिपिबद कर दे तो आने वाली पीढ़ियां इस सिख सकती है, और केवल ढोलबादक के बच्चे ही क्यों इसको सीखे क्यों न अन्य समाज के बच्चे भी इस आत्मसात करें ,
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गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली
गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली गढ़वाली भाषा का प्रारम्भ कब से हुआ इसके प्रमाण नहीं मिलते हैं। गढ़वाली का बोलचाल या मौखिक रूप तब स...
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सुनिए नरेंद्र सिंह नेगी जी की आवज में गिर्दा का लिखा गीत "जैता एक दिन त आलू दिन ई दुनि में ततुक नी लगा उदैख, घुणन मुनई न टेक जैता...
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