Thursday 9 November 2017

अनामिका चौहान ने टूरिस्ट गाइड बनकर उत्तराखंड के युवाओं को रोजगार की नई राह दिखाई है। By श्रीनगर ’ मनमोहन हिन्दुस्तान


सिंधवाल चमोली के पुलना गांव निवासी अनामिका चौहान ने टूरिस्ट गाइड बनकर उत्तराखंड के युवाओं को रोजगार की नई राह दिखाई है। बीएससी करने के बाद गाइड का काम कर रही अनामिका हर महीने दो सौ अधिक पर्यटकों को उच्च हिमालय की सैर करा रही हैं। गढ़वाल विवि में बीएससी बॉटनी की छात्र रही अनामिका चमोली जिले के भ्यूंडार गांव की रहने वाली हैं। 2013 की आपदा में उनका गांव तबाह हो गया। अब उनका परिवार पुलना गांव में रहता है। अनामिका के पिता विनोद चौहान घांघरिया में यात्र सीजन में होटल चलाते हैं। अनामिका एक साल से घांघरिया से गाइ¨डग का काम कर रही हैं। अनामिका इस क्षेत्र की पहली छात्र है, जो बीएसससी करने के बाद टूरिस्ट गाइ¨डग का काम कर उच्च हिमालयी क्षेत्र की सैर करा रही हैं।
अनामिका ने बताया कि वह देसी, विदेशी पर्यटकों को फूलों की घाटी, हेमकुंड, काग भुसंडी ताल आदि उच्च हिमालयी क्षेत्रों की ट्रेकिंग कराती हैं। हर महीने वह 200 से अधिक पर्यटकों को उच्च हिमालय की सैर कराती हैं। 
उनके क्षेत्र के कई पुरुष गाइड का काम करते हैं, इसलिए मैंने सोचा, यह काम मैं भी कर सकती हूं। वे बांली, अब तक वे आस्ट्रेलिया, जापान, बंगाली, दक्षिण भारत, भारत देश के विभिन्न हिस्सों आने वाले पर्यटकों को हिमालय की सैर करा चुकी है। वे पर्यटकों के एक से तीन लोगों के ग्रुप से एक हजार और इससे ज्यादा के ग्रुप से दो हजार रुपए लेती हैं। अनामिका बताती हैं कि पिछले एक साल से वह यह काम कर रही हैं। बीएससी बॉटनी से करने और स्थानीय होने के कारण हिमालय की वनस्पतियों के बारे में बताने में उन्हें आसानी होती है। वे बताती हैं उसकी गाइडिंग से खुश पर्यटक उसे अब क्वीन ऑफ वैली के नाम से पुकारते हैं।
अनामिका ने बताया कि वह देसी, विदेशी पर्यटकों को फूलों की घाटी, हेमकुंड, काग भुसंडी ताल आदि उच्च हिमालयी क्षेत्रों की ट्रेकिंग कराती हैं। हर महीने वह 200 से अधिक पर्यटकों को उच्च हिमालय की सैर कराती हैं। उनके क्षेत्र के कई पुरुष गाइड का काम करते हैं, इसलिए मैंने सोचा, यह काम मैं भी कर सकती हूं। वे बांली, अब तक वे आस्ट्रेलिया, जापान, बंगाली, दक्षिण भारत, भारत देश के विभिन्न हिस्सों आने वाले पर्यटकों को हिमालय की सैर करा चुकी है। वे पर्यटकों के एक से तीन लोगों के ग्रुप से एक हजार और इससे ज्यादा के ग्रुप से दो हजार रुपए लेती हैं। अनामिका बताती हैं कि पिछले एक साल से वह यह काम कर रही हैं। बीएससी बॉटनी से करने और स्थानीय होने के कारण हिमालय की वनस्पतियों के बारे में बताने में उन्हें आसानी होती है। वे बताती हैं उसकी गाइडिंग से खुश पर्यटक उसे अब क्वीन ऑफ वैली के नाम से पुकारते हैं।
फूलों की घाटी में पर्यटकों को जानकारी देते अनामिका। 

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