Friday 25 August 2017

यूँ कब तक देश को जलाते रहोगे,


यूँ कब तक देश को जलाते रहोगे,
अंध आस्था, अंधश्रद्धा, अंधभक्ति,
के नाम पर कब तक आग लगाते रहोगे।।

कभी अराक्षण के नाम पर हिंसा करते हो,
कभी एक अपराधी के पक्ष में लड़ते हो।
कभी धर्म के नाम पर बेगुनाओ के काल बन जाते हो,
ढोंगियो के लिए भी राजनितिक ढाल बन जाते हो।।

क्या ये देश तुम्हारा नहीं है?
क्या ये सम्पति तुम्हारी नहीं है?
अपने बच्चो को क्यों अंधकार में धकेल रहे हो,
अपने कल को क्यों शुन्यकार में खदेड़ रहे हो।।

कभी मुगलों ने लुटा, कभी सालो लुटा गोरो ने,
आज लुटा है इस देश को खुद के प्यारे छोरो ने।
आज कुछ औरते भी पाप के पक्ष में खड़ी है,
एक अपराधी के लिए जान लेने पर तुली है।

गुस्सा इस बात का होना था !!
कि सजा क्यों नहीं मिली थी, अपराधी को अब तक,
धर्म चोला पहनकर लूटेंगे स्त्री की इज्जत ये कब तक।
जिस के साथ ये अन्यायी हुआ क्या उस पर बीती होगी,
राजनितिक सर्क्षित अपराधी से ये लड़ाई कैसे जीती होगी।

प्रदीप रावत "खुदेड"
26/08/2017

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