Friday 7 October 2016

मांगा जवाव स्यूं बटि,
फोड़दा पहाड़ू कू।
मांगा जवाव सुयं बटि,
तोड़दा नयारू कू।
मांगा जवाव, मांगा जवाव,

अस्पताल मा तड़पड़ा मरीजू कू,
मांगा जवाव स्यूं बटि,
हक मारदा जू गरीबूं कू।
मांगा जवाव,
झमडा झिंजोड़ा स्यूं ते,
हरकवा फरकवा लमडवा स्यूं ते।
मांगा जवाव, मांगा जवाव।

आग मा फुकेंदा डाँडों कू,
मांगा जवाव स्यूं बटि।
पुंगड़्यूं मा जमदा कांडों कू।
मांगा जवाव मांगा जवाव।

शराब मा डुबदा नोजवानू कू,
मांगा जवाव स्यूं बटि।
खेती बाड़ी छोड्दा किसानू कू।
मांगा जवाब मांगा जवाब।

छोंदा कर्मचार्युं व्हेकी, बंद पोड्या दफ्तरुं कू,
मांगा जवाब स्यूं बटि
कंठ-कंठ तक भ्रष्टाचार मा डूब्या अफ्सरूं कू।
मांगा जवाब, मांगा जवाब  

हिमत धैरा, साँसू कैरा, अब बिलकुल नि डैरा,
मांगा जवाब, मांगा जवाब।

 Garhwali poem garhwali Kavita

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