इस लिंक पर पढ़िए मेरी देवप्रयाग यात्रा
ऐसी थी मेरी देवप्रयाग यात्रा, कभी नहीं भूलने जैसा है उसका रोमांच! 12 साल बाद लगने वाले मौरी मेले में मुझे पांडवों के साथ देवप्रयाग गंगा स्नान पर जाने का मौका मिला। मैंने सात दिसंबर 2013 को मेले के उद्घाटन के दिन ही तय कर लिया था कि जब पांच पांडव 13 अप्रैल 2014 को बिखोती में गंगा स्नान करने देवप्रयाग संगम पर जाएंगे तो मैं भी पैदल यात्रा करके उनके साथ स्नान करने जाऊंगा। दिसंबर 2013 के बाद वक्त बड़ी तेजी से बीतता हुआ निकला। अप्रैल 2014 आते ही मैंने तय किया कि मैं 11 तारीख को दिल्ली से पौड़ी गढ़वाल में अपने गांव तमलाग रवाना होऊंगा। । 11 तारीख को मैं कश्मीरी गेट आईएसबीटी से रोडवेज की बस पकड़कर चल पड़ा। हालांकि बस अड्डे से बस मिलने में थोड़ी परेशानी जरूर हुई क्योंकि शादियों का वक्त चल रहा था और काफी लोग पहाड़ जाने के लिए बस अड्डे पहुंचे थे। खैर पहाड़ जाने की खुशी में इस बात का थोड़ा सा भी मलाल नहीं था।
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