Thursday 22 September 2016

रौतूं का घारमा तीनि भै जन्म लेकी एैन Garhwali Poem




















रौतूं का घारमा तीनि भै जन्म लेकी एैन
जल थल नभ सेना मा तीनि भर्ती व्हेेन

पहला भैन बिछाई सागर कू ढिसाणू
दूजा भैजीं लगाई बारूद कू सिराणू
तीजा भैजी ओढ़ी सैरू आगास
अटकेली खिलंादु छो वु अपड़ा जहाज
देब भूमि मा स्यू जन्म लेकी एैन
जल थल नभ सेना मा तीनि भर्ती व्हेेन

मैना चार बटि लगी छै सीमा पर घनाघोर लड़ाई
अपड़ी फौज लेकी स्यून बैरियू पर कैरि चढ़ाई
बिधातन तीन्यू भायूकू भाग्य एक ही कागज में लेखी
मातृ भूमि की रक्षा कैई स्यून अपड़ी ज्यान देकी
बीरू की धरती मा जन्म लेकी स्यू ऐन
जल थल नभ सेना मा तीनि भर्ती व्हेेन

रक्षा बन्धन कू छौ वे दिन त्यौहार
शहीद बणी की एैन जैदिन स्यू घार
पिटै लगाणू कू पहला भैजि कू माथा नि बच्यू राई
राखी बन्धणू दूजा तीजा भैजी की कलाई नि छाई

हिंवाळी काँट्यू मा स्यू जन्म लेकी एैन
जल थल नभ सेना मा स्यू भर्ती व्हेेन

खुशी का आँसू छलकणा छा पट्रटी अर गौैह््का
अमर व्हेन जू आज वु होला नौना कै मोह्का
सलामी देणी छै स्यू तै तीनि सेनो की तोप
जुग-जुग तक याद राली तै माँ की कोख

 Garhwali poem garhwali kavita  Garhwali poem garhwali kavita  Garhwali poem garhwali kavita 


No comments:

Post a Comment

गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली

 गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली        गढ़वाली भाषा का प्रारम्भ कब से हुआ इसके प्रमाण नहीं मिलते हैं। गढ़वाली का बोलचाल या मौखिक रूप तब स...