Sunday 18 September 2016

क्यों हमारे हाथों को बांधा है हमारे हुक्मरानों ने ।


















क्यों हमारे हाथों को बांधा है हमारे हुक्मरानों ने
क्यों हमारी शमसीरों पर जंग लगाया है हमारी सरकारों ने
वह हमरी माटी में घुसकर कलम कर गया हमारा सर
हम क्यों मेहमान नवाजी करते रहे दुशमन को बुलाकर अपने घर ।।

अपनी तलवारों को कब तक हम म्यान छुपाकर रहेंगे
कब तक बेगुनाह हिन्द के सिपाई यूँ अपना लहू बहेंगे
हमने किसी की गज भर जमीं छीनी है बे बजहे किसी का लहू बहाया है
दुशमन ने हमें कमजोर समझ लिया,क्यों हमारी ख़ामोशी का फायदा उठाया है
क्यों हमारे हाथों को बांधा है हमारे हुक्मरानों ने
क्यों हमारी शमसिरों पर जंग लगाया है हमारी सरकारों ने

शांति शांति कब तक हम अपनों की कुर्वानी दे कर शांति फैलायेंगे
एक बार दो हुक्म जो बिना रुके लाहौर में जाकर तिरंगा लहराहेंगे
पाँव की जूती समान दुशमन को हमें उसकी औकात दिखानी होगी
देकर करारा जवाब हमें उसे उसकी अक्ल टिकाने लगनी होगी
क्यों हमारे हाथों को बांधा है हमारे हुक्मरानों ने
क्यों हमारी शमसीरों पर जंग लगाया है हमारी सरकारों ने

बीस सैनिको को मारकर उसने 125  करोड़ हिन्दुस्तानियों को लालकारा है
एक बार फिर आस्तीन के साँप ने अपना नापाक फन फ़नकारा है
कृष्ण की तरह फिर हमें इसके सर पर तांडव करना होगा
इसके बिल में घुसकर उसमें बज्र का बारूद भरना होगा 
क्यों हमारे हाथों को बांधा है हमारे हुक्मरानों ने
क्यों हमारी शमसीरों पर जंग लगाया है हमारी सरकारों ने


                                                                                                               
   प्रदीप सिंह रावत "खुदेड़"

No comments:

Post a Comment

गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली

 गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली        गढ़वाली भाषा का प्रारम्भ कब से हुआ इसके प्रमाण नहीं मिलते हैं। गढ़वाली का बोलचाल या मौखिक रूप तब स...