यययययकीन नही होताहै है है है है है है
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आज हमने चॉद को
तालाब मे कैद देखा है.
ये हकीकत है यकीन नही होता है.
जब सूरज पश्चिम मे चला जाता है
रोशनी के नाम पर लट्टू भी चमक जाता है.
ये हकीकत है यकीन नही होता है.
जिस पर शक नही होता है कभी
आज वही कपड़े उतार बैठा है.
ये हकीकत है यकीन नही होता है.
बाजार माला माल हैं
किसानों पे कर्ज होता है.
ये हकीकत है यकीन नही होता है.
जयपाल सिंह रावत ''छिपोडु'' दा
Garhwali poem garhwali kavita Garhwali poem garhwali kavita Garhwali poem garhwali kavita
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आज हमने चॉद को
तालाब मे कैद देखा है.
ये हकीकत है यकीन नही होता है.
जब सूरज पश्चिम मे चला जाता है
रोशनी के नाम पर लट्टू भी चमक जाता है.
ये हकीकत है यकीन नही होता है.
जिस पर शक नही होता है कभी
आज वही कपड़े उतार बैठा है.
ये हकीकत है यकीन नही होता है.
बाजार माला माल हैं
किसानों पे कर्ज होता है.
ये हकीकत है यकीन नही होता है.
जयपाल सिंह रावत ''छिपोडु'' दा
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