Monday 20 June 2016

ब्वारि इनि चाहेणी मे तै!!! Garhwali Poem

ब्वारि इनि चाहेणी मे तै!!!
ज्वा गढवोळी दगड़ा अंग्रजी मा बी बच्यांदी होलि।
घास कटण दगड़ा फेसबुक वाटसअफ बी चलांदी होलि।
ज्यादा टीब्यू डब न हो, गौणी बंदर बी हकांदी होली।
ब्वारि इनि चाहेणी मे तै!!!
ज्वा सभ्यूंते भै जा,
जै देखी की घार मा रौनक एैजा।

ब्वारि इनि चाहेणी मे तै!!!
ज्वा पिज्जा चोमिना आलावा पल्यो छछेडू बी बणांदी होलि।
करवा चैथ न सही पर एगास बग्वाल जरूर मनांदी होलि।
चाइनीज लड़ी दगड़ा कड़ू तेलो द्वीव बी जगांदी होलि।
ब्वारि इनि चाहेणी मे तै!!!


ब्वारि इनि चाहेणी मे तै!!!
ज्वा जींस टाॅप दगड़ा बाजू बांद बी लगांदी होलि।
नौनो तै अंग्रजी दगड़ा गढ़वाळी भाषा बी सिखांदी होलि।
चेतन भगत शैक्सपियर दगड़ा पहाड़ी साहित्य बी पढ़ांदी होलि।
ब्वारि इनि चाहेणी मे तै!!!

पंजाबी गीत न सहि, पर गढ़वोळी गीतूं मा सभ्यूंते नचांदी होलि।
में देखी की न सहि, पर जेठणा जी देखी सरमांदी होलि।
हिंदी गीतंू की दगड़ा गढवोळी गीत बी गुनगुनांदी होलि।
थैल्या दुधा भरोंसा नि रा गोड़ी भैंसी बी पिजांदी होलि
ब्वारि इनि चाहेणी मे तै!!!
जैं ते शैर घुमणो शौक हो, पर गोर बखरा बी चरांदी होलि।
चटि-पटि खाणे दगड़ा घार मा ढबड़ी रोटि बी पकांदी होलि।
खदरै धोती मा वा धूपा ऐना बी लगांदी होलि।
इनै की छवी उनै नि लगांदी होलि
ब्वारि इनि चाहेणी मे तै!!!

हम उमर लोगू कू हैलों हाय, पर दाना सयेणो ते सेवा लगांदी होलि।
जादा गारू न पर डांडा बटि लकड़ा बी लांदी होलि।
ऊंच बिचार हो विंका भले कनी बी हो वीकी कद काठी।
चकड़ैतू कू चकड़ैत हो वा लाटा मनख्यूं कू हो लाटी।
ब्वारि इनि चाहेणी मे तै!!!

ब्वारि इनि चाहेणी मे तै!!!
ज्वा हैरी मरच जन तीखी हो।
भला मनख्यूं कू फीकी हो।
मयाळू हो दयाळू  हो न गोरी न चिटी हो।
बस मेरा दगड़यो मन की मीठी हो।

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