Monday 20 June 2016

उठ अब खडू़ तू ! Most Hindi popular blog Uttarakhand (UTTRAKHAND) 20 Garhwali Poem By Pardeep Singh Rawat

उठ अब खडू़ तू !
फिर कमर बांधणो वक्त एैगी।
अब अमृत निकवोलू,
फिर समुद्र मथणों कू वक्त एैगी।।

एैंच अगाश मा चाला चमकणा छन,
गोकुल मा फिर बादळ बरसणा छन।
आवा हाथ लगावा,
फिर गोवर्धन उठाणो कू वक्त एैगी।
अब अमृत निकवोलू,
फिर समुद्र मथणों कू वक्त एैगी।।

ज्वा पैरी चीणी छै हमन,
वींकी क्वी पै उज्याणू च।
ज्वा बिज्वाड़ बूती छै हमन,
धरती मा आण से पैली क्वी उपणू च।
राजै की त हठ धारी च,
अब फिर भीष्म प्रतिज्ञा करणो कू वक्त एैगी।
अब अमृत निकवोलू,
फिर समुद्र मथणों कू वक्त एैगी।।

कौरव का बीच रैकी तै भी,
तू धर्म कू बाठू नि छोड़ी।
संगा संबंधी अगर अधर्म गैल छन,
तू उंका मोह मा भी नि पोड़ी।
कुरूक्षेत्र मा अब गीता ज्ञान बंटणो कू वक्त  एैगी।


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