Tuesday 21 June 2016

ज्यू विचा तेल बत्ती बदलेगेनए पर द्वी विचा, Garhwali Poem



















तेल बत्ती बदलेगेनए पर द्वी विचा,
शरील बुढ्या व्हेगी, पर ज्यू विचा।
इस लिंक पर देखिये एक सुंदर गढ़वाली खुदेड गीत। आपको अपनों की याद आ जाएगी
हडग्यूंकू पीना बणगी, कड़क वीचा,
मुल्क बदलेगी पर पाड़ै तड़फ वीचा। 

ह्यूं गोळी बदलेगी पर शिखर वीचा,
रोशनी बुजगी आँख्यूँ मा पर करड़ी नजर वीचा। 
इस लिंक पर सुनिए -किस दौर से गुजर रहा है अपना उत्तराखंड सुनिए उत्तराखंडी जाग्रति गीत
राजा बदलेगेन, पाड़ौ दर्द वीचा,
बैध बदलेगेन पर पाड़ौ मर्ज वीचा। 

दगड्या बदलेगेन पर दगड़ी वीचा,
ऐना बदलेगेन पर मुखड़ी वीचा। 
इस लिंक पर देखिये गढ़वाली सुपर हिट फिल्म भाग-जोग
सूरज एैन-गैन पर परछायी वीचा,
कुटदरी बदलेगेन पर उरख्ळी वीचा। 

स्वाद बदलेगी पर स्याणी वीचा,
कंठ सुखगेन पर बाणी वीचा।
प्रदीप रावत ''खुदेड''


 Garhwali poem garhwali kavita  Garhwali poem garhwali kavita  Garhwali poem garhwali kavita 

 Garhwali poem garhwali kavita  Garhwali poem garhwali kavita  Garhwali poem garhwali kavita 

No comments:

Post a Comment

गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली

 गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली        गढ़वाली भाषा का प्रारम्भ कब से हुआ इसके प्रमाण नहीं मिलते हैं। गढ़वाली का बोलचाल या मौखिक रूप तब स...