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फोटो - दिनेश कंडवाल |
ज्यू प्राण से ज्यदा प्यारी च त्वे स्या टल्खी,
दुन्यादारी से ज्यदा न्यारी च त्वे स्या टल्खी।
त्येरा मुंडे कि सौ शान च त्येरि स्या टल्खी,
त्वे कु आन बान सम्मान च त्येरि स्या टल्खी।
काम धाण मा त्वे दगड़ा च त्येरि स्या टल्खी,
खाण कमाण मा त्येरा दगड़ा च स्या टल्खी।
बरखा भिगई निवति सुखाई त्येरि स्या टल्खी,
कमर मा बंधी रंग मा डुबाई त्येरि स्या टल्खी।
स्वामी से ज्यदा ख्याल मा रखि च स्या टल्खी,
हमेशा लोखू का सवाल मा रखि च स्या टल्खी।
खौळा मेंळो मा त्येरु श्रृंगार सजांदी स्या टल्खी,
ब्यौ बरात मा हल्दी सी निखार लांदी स्या टल्खी।
मैत्यूँ कि दान मा दिई त्वे तै स्या प्यारी टल्खी,
दग्द्यों कि मगज लगे दिई त्वे स्या दुलारी टल्खी।
भै- भूलों का याद मा रंगी च त्येरी स्या टल्खी,
चचि बोड्यों का लाड मा रंगी च त्येरि स्या टल्खी।
प्रदीप रावत ❝ खुदेड़❞
01/12/2017
सर पर रखने की चदररी को ❝टल्खी❞ का जाता है
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