उत्तराखंडी संगीत में नया प्रयोगधर्मी अमित सागर ने इस बार गढ़वाली गजल बिधा पर काम किया है उन्होंने उत्तराखंड के कई साहित्यकार द्वारा रचित गजलों को अपनी आवाज दी है, ये उत्तराखंड के संगीत प्रेमियों के लिए अच्छी बात है कि उन्हें पहाड़ी संगीत का अलग रूप, अलग बिधा, नए और पुराने साहित्यकारों द्वारा रचित साहित्य को गयान शैली में सुनाई दे रहा है, जहां एक समय ऐसा आ गया था पहाड़ी संगीत भी धीरे धीरे अपनी फुलड़ होने लगा था पर अभी हाल के दिनों में नए गयाको द्वारा अच्छा संगीत यू ट्यूब के माध्यम से लोगों के बीच आ रहा है और लोग उसे सुन रहे है,
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गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली
गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली गढ़वाली भाषा का प्रारम्भ कब से हुआ इसके प्रमाण नहीं मिलते हैं। गढ़वाली का बोलचाल या मौखिक रूप तब स...
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सुनिए नरेंद्र सिंह नेगी जी की आवज में गिर्दा का लिखा गीत "जैता एक दिन त आलू दिन ई दुनि में ततुक नी लगा उदैख, घुणन मुनई न टेक जैता...
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राजनीती के राजाओं से मैं।। हर दिन हर पल लुट रहा हूँ।। पवित्र मेरी प्रकृति फिर भी ।। दूषित लोगों से हरपल घुट रहा हूँ ।...
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वह सुमन ही था ! जो मुरझाकर भी अभी खिला हुआ हैं। वह सुमन का ही बीज है ! जिससे हमें सत्य, संघर्ष, का सहास मिला हुआ है। व...
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