सोमवार, 28 अगस्त 2017

गढ़वाली बाल कविता प्यारी बाछी(मि गोड़ी प्यारी प्यारी बाछी छौ)


मि गोड़ी प्यारी प्यारी बाछी छौ
मि कुछ नि बोलदो मि अभी लाटी छौ

कबी ये चैक कबी वे चैक मि भगदू छौ
छोटा नौनो दगड़ी मि खेलदू छौ

काळी सफेद लाल होंदू म्येरू रंग
खुश व्हे जंदो मि बच्चों का संग

मि गोड़ी प्यारी प्यारी बाछी छौ
मि कुछ नि बोलदो मि अभी लाटी छौ

प्रदीप सिंह रावत "खुदेड़ "
29 08 /2017 
 

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