Monday, 27 March 2017

"फ्यूलोडिया" गीत 24 घंटे में लगभग एक लाख दर्शको द्वारा देखा गया था और अब यह बीस लाख लोगों द्वारा देखा गया है ,जो कि उत्तराखंड गीत संगीत और दर्शको के लिए भी शुभ संकेत है।


कोई गीत 24 घंटे में लगभग एक लाख दर्शको द्वारा देखा जाता है है यह उत्तराखंड गीत संगीत और दर्शको के लिए भी शुभ संकेत है। "फ्यूलोडिया" गीत जिसे उत्तराखंड के जाने माने गायक किशन महिपाल ने गया है । जिस पर नकारत्मक प्रतिक्रया के बाद भी बहुत पसंद किया जा रहा है।
 गौरतलब है कि उस हफ्ते दो चलचित्र गीत यू ट्यूब पर रिलीज हुए थे  एक गीत उत्तराखंड में "फ्यूलोडिया" जिसका आडियो दो साल पहले आ गया था जिसे  22लाख से ज्यादा दर्शक मिल चुके है। यह गीत उत्तराखंड का पहला गीत है जिसे २२ लाख से दर्शकों ने देखा है। अब इसका चलचित्र गीत यूं ट्यूब पर अपलोड किया गया है। जब से दर्शकों को रौन ग्रुप द्वारा यह सन्देश रिलीज किया गया था कि "फ्यूलोडिया" गीत का विडियो 25 मार्च को रिलीज किया जायेगा। लोगों में इस दिन का बड़ा बेसब्री से इंतजार था। और दर्शक बाहुबली-2 फिल्म की  तरह इस गीत का अपलोड होने का इंतज़ार 25 तारीख को  दिन से ही करने लगे। रात को जब यह गीत रिलीज हुआ और लोगो ने इस गीत के चलचित्र को देखा तो उन्हें निराशा हाथ लगी। जितना बड़ा हिट यह गीत था। उसका फिल्मांकन उस स्तर का न देखकर दर्शकों के नकारत्मक कमेन्ट यूं ट्यूब पर आने शुरू हो गए। जिसकी सफाई देने के लिए गायक किशन महिपाल को आना पड़ा। दर्शको को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मात्र यू ट्यूब के लिए बनाये गए विडिओ के लिए वह बिलकुल भी ये अपेक्षा न करें कि उस पर ज्यादा पैंसा खर्च किया जायेगा। क्योंकि यूं ट्यूब फ्री माध्यम है गीत संगीत सुनने का। यू ट्यूब से उतनी इनकम नहीं होती है जितना एक गाने को बनाने में खर्च होता है। हाँ अगर वह बाज़ार से cd खरीदते है तो वह सवाल उठा सकते है और यह तह कर सकते है किस गीत को हिट कहना है और किसे फ्लॉप। हालाँकि दर्शको के मामले में यह गीत पिछले 24 घंटे में 1लाख से ज्यादा लोगों द्वारा हिट किया गया है। जो यह दर्शाता है कि उत्तराखंड गीत संगीत के दिन फिर से वापस आ गए है।और अब  अन्य लोग भी अच्छा गीत संगीत लेकर दर्शकों के बीच आयेंगे।आवाज की धनी 9 साल की शगुन उनियाल की आवाज में सुनिए एक प्यारा सा गीत

इस गीत से पहले sd productiob द्वारा  बिदुमती का विडिओ गीत हिट हो चूका है । जिस गीत को उत्तराखंड में "डोबरा चाटी पुल बनाओ" और पहाड़ो में गरीब क्रांति द्वारा चकबंदी की मांग का "चकबंदी" गीत के माद्यम से लोगो में जनजागरण कर चुके उबरते कवि और गायक "सुरेन्द्र सेमवाल" का गीत बिन्दुमती का चलचित्र भी यू ट्यूब पर रिलीज किया गया। जिसके आडियो को दर्शकों ने  काफी सराहा था। उसका बीडीओ आते ही उसे एक हफ्ते में 75 हजार दर्शक देख चुके है। बिदुमती का फिल्मांकन उत्तराखंड में शूटिंग स्थान चयन करने में बिख्यात निदेशक "राज-आर्यन" ने किया है इस गीत की हर कोई तारीफ कर रहा है। बिदुमती गीत को हर्षिल में शूट किया गया है। जहाँ राम तेरी गंगा मैली की शूटिंग की गयी थी।नरेन्द्र सिंह नेगी जी की नयी रचना आपको रोमांचित कर देगी। ये नहीं सुनी तो कुछ नहीं सुना
गौरतलब है कि इस महीने पांडावास द्वारा यू-ट्यूब पर "फुलारी" गीत अपलोड किया गया था जो उत्तराखंड की संस्कृति का एक अहम् त्यौहार है। "फुलारी" गीत को लगभग दो लाख से ज्यादा लोग देख चुके है फुलारी"  पहला गीत है जिसे हर वर्ग का श्रोता पसंद कर रहा है। तथा पांडवास के लिए देश विदेश से बधाई सन्देश आ रहे है। इन तीनो गीतों को मिले दर्शको से यह तह हो रहा है कि उत्तराखंड का गीत संगीत का भाबिष्य उज्जवल है।
 

Thursday, 23 March 2017

क्या youtube का विकल्प बनेगा daily motion ? डेली मोशन यूं ट्यूब के बाद सोशल मीडिया में बड़ी बड़ी तेजी से अपनी पकड बना रहा है ।

आप  यू ट्यूब के आलावा डेली मोशन पर अपने विडियो अपलोड करके पैंसे कमा सकते है। डेली मोशन यू ट्यूब के बाद ओन लाइन विडियो देखने के लिए सोशल मीडिया में बड़ी तेजी से प्रसिद्ध हो रहा है। इस साईट पर हजारों विडियो अपलोड है बड़ी कंपनियां टी सीरिज जैसी कम्पनी भी इस साईट पर  अपने विडियो अपलोड कर रही है। जिस लाखो लोग देख रहे है। डेली मोशन पर आप अपने विडियो के आलवा दूसरे के विडियो पर भी पैंसे कमा सकते हो। डेली मोशन दूसरे के विडियो को प्रमोट करने के भी पैंसे देता है। अगर आपकी कोई खुद की वेबसाईट है तो आप उस साईट पर डेली मोशन द्वारा दिए गए लिंक को पेस्ट करके उससे पैंसे कमा सकते हो। जितने दर्शक उस विडियो को देखेंगे आपको भी उसके पैंसे मिलेंगे

shagun uniyal पहाड़ की बेटी का अपने पापा के लिऐ... by uttarakhand80 
 जहाँ यूं ट्यूब आपको 55 प्रतिशत हिस्सा देता है और खुद 45 प्रतिशत रखता है वही डेली मोशन 70 प्रतिशत आपको देता है और खुद 30 प्रतिशत रखता है। जैसे यू ट्यूब के पैंसे डिरेक्ट आपके अकाउंट में आते है वैसे ही डेली मोशन भी महीने में आपके पैंसे आपके अकाउंट में ट्रांसफर कर देता है। तो आप भी अपने विडियो को यू ट्यूब के आलवा डेली मोशन पर अपलोड करके पैंसे कमा सकते हो। 

New Song Narendra Singh Negi Ji 2017 by uttarakhand80 

Saturday, 18 March 2017

यू ट्यूब के माध्यम से कितनी इनकम हो रही है। social ब्लेड पर दुनिया के सब यू ट्यूबर का डाटा मौजूद है कि कौन कितनी इनकम कर रहा है यू ट्यूब के माध्यम से


दोस्तों आप भी जानना चाहते होगें की आज के दौर में जिन लोगों ने यू ट्यूब पर अपना चैनल बना रखा है और लोगों को उनके द्वारा अपलोड किये गए बीडीओ पसंद आ रहे है तो उनको हर महीने में यू ट्यूब के माध्यम से कितनी इनकम हो रही है। हम बताते है आपको कि उत्तराखंड में सबसे ज्यादा इनकम किस यू ट्यूबर की हो रही है।
अगर हम बात करें हिंदी भोजपुरी या किसी अन्य भाषा क्षेत्र की यहाँ तक हिमाचली यू ट्यूबर कि तो वह लोग भी बहुत पैंसे कमा रहे है। क्योंकि उनके बीडीओ को लाखो दर्शक देखते है । वही उत्तराखंड के बीडीओ या गीतों को मात्र कुछ हजार दर्शक ही देखते है। जब की यू ट्यूब पर विडियो देखने के केवल डाटा के चार्ज लगते है। मुफ्त की विडिओ देखने में भी हमारे उत्तराखंडी रूचि नहीं दिखाते है। जिस कारण हमारा संगीत दर्शकों के मामले में पीछे  रह गया है। कुछ ही गिनती के बीडीओ है जिन्हें लाख दो लाख दर्शक मिलते है। हाँ पिछले कुछ महीनों में जब से जीयो मार्किट में आया है तब से उत्तराखंडी दर्शको में आश्चयर्य जनक बढोतरी देखने को मिली है। जो उत्तराखंडी संगीत और संस्कृति के लिए शुभ समाचार है। हाँ यू ट्यूब के माध्यम से हमें ऐसे विडिओ भी देखने को मिलेंगे जो हमारी संस्कृति के अनुरूप नहीं होंगे । उन्हें भी लाखो दर्शक मिलते है। आज के दौर में आप ऐसे विडिओ को रोक भी नहीं सकते। इन्हें दर्शक मिलने ही मिलने है। और सचाई ये ऐसे विडिओ एक बार आप भी जरुर देखते हो। चलो आपको बताते है। किसी की कितनी कमाई हो रही है। ये आंकड़े social blade से लिए गयें है social ब्लेड पर दुनिया के सब यू ट्यूबर का डाटा मौजूद है कि कौन कितनी इनकम कर रहा है यू ट्यूब के माध्यम से।
अगर हम बात करें गढ़ रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी जी की जिनके गीतों को सबसे ज्यादा सुना और देखा जाता है। हालाँकि अभी हाल के वर्षो में उनका कोई भी नया गाना नहीं आया है। फिर भी आज उनके चैनल को कितनी इनकम मिलती है youtube से।आवाज की धनी 9 साल की शगुन उनियाल की आवाज में सुनिए एक प्यारा सा गीत


वही अगर हम हिमाचली गीतों को देखे की उनकी कितनी इनकम हुयी है तो आपको साफ़ पता चल जायेगा की हम  कहाँ ठहरते है।


अब बात करते है राज आर्यन की जिनके दो चैनल चल रहे है। आज की तारीख में उनके बनाये बीडीओ को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है सब्सक्राइबर भी उनके हजारो में है। वह कितना कमा रहे है आप नीचे स्क्रीन शॉट में देख सकते है।
फ्यूलोडिया गीत को जहाँ अब तक 14 लाख से ज्यादा लोग देख चुके है। और जल्द उसका विडियो भी आ रहा है। आप सोच रहे होंगे की किशन महिपाल कितना कमा रहे है। तो आप खुद ही देख लीजिये वह महीने और में कितना पैसा यू ट्यूब से कमा रहे है। इस लिंक पर देखिये गढ़वाली सुपर हिट फिल्म भाग-जोग पार्ट -2
गढ़वाल के हास्य कलाकार किशना बगोट जो अच्छा काम कर रहे है। उनके चाहने वाले भी बहुत लोग है उनके बीडीओ को भी अच्छे दर्शक मिलते है। वह कितना कमा रहे है यू ट्यूब से। नीचे देख सकते है।
 नेगी करासी जिन्हें उत्तराखंड में काफी सुना जाता है। उनके गीतों का नशा भी दर्शकों के सर चढ़कर बोलता है।  वह कितना कमा रही है आप खुद देखिये।
कुमाउनी गीत संगीत की बात करें तो पप्पू कार्की के गीतों को बहुत पसंद किया जाता है। उनके विडियो  को हजारों दर्शक देखते है। वह लगातार यू ट्यूब पर अपने गीतों को  अपलोड कर रहे है । वह कितना कमा रहे है आप स्क्रीन शॉट में देख सकते हो।
वही कई ऐसे चैनल है जो केवल साधारण सा विडियो बनाते है किसी भी प्रोग्राम या त्यौहार का विडिओ बनाकर अपने चैनल पर अपलोड कर देते है। उनके विडियो को भी हजारो लोग देख रहे है। वह काफी अच्छा कमा रहे है। ऐसे ही एक चैनल को देखिये ठेठ पहाड़ी करके यह चैनल केवल साधारण से विडियो अपलोड करता है और अन्य लोगो से ज्यादा पैसे कमा रहा है।
वही अगर हम न्यूज़ चैनल की बात करें तो प्यारा उत्तराखंड की कितनी इनकम है उसे हम आपको दिखाते है। प्यारा उत्तराखंड ही पहला ऐसा चैनल है जिसके डेढ़ लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर है। यह चैनल केवल न्यूज़ ही दिखता है इसकी इनकम कितनी है आप खुद देख लीजिये।
उत्तराखंड का पहला बेब चैनल हिमालयन न्यूज़ जिसके भी अब हजारो सब्सक्राइबर है। और वह न्यूज़ के आलवा उत्तराखंड की संस्कृति खान पान भेष भूषा और गीत संगीत को प्राथमिकता देता है। ये सही है न्यूज़ चैनल को अपने कर्मचारियों पर भी खर्च करना पड़ता है। फिर भी दर्शको की दृष्टि से हम इस चैनल की यूं ट्यूब से होने वाली कमाई को देख सकते है।

मुंबई से श्री फिल्म के भी लाखो दर्शक उनके द्वारा अपलोड किये गए उत्तराखंडी विडिओ को देख चुके है। कितनी इनकम है उनकी नीचे स्क्रीन शॉट में आप देख सकते हो।
वही एक और नाम जिसने फ्यूजन से शुरआत की और कोलावेरी डी का गढ़वाली वर्जन बनाया और अब वह आज वह सबसे अच्छे गीत और संगीत तैयार कर रहे है। जी हम बात कर रहे है अमित सागर की। जिनका चैनल सुर सागर के नाम से है। उनके भी हजारो सब्सक्राइबर है। और लाखों दर्शक उनके चैनल पर हिट करते है। कितना कमाते है वह एक महीने में नीचे स्क्रीन शॉट में आप देख सकते है


Tuesday, 14 March 2017

पांडववास ने "घुगुती बसुती" और "फुलारी" गीतों के माद्यम से उस वर्ग को वापस अपने पुराने अतीत में पहुँचा दिया है

पांडवास गढ़वाल के एसे गीतों को लोगों तक पहुंचा रहा है जिन्हें नयी पीढ़ी तक पहुँचाना बहुत जरुरी है। भले आज के गायक बहुत कम समय में अपनी पहचान बनाना चाहते हो। इस लिए वह ज्यदातर गीत DJ वाले गाते है । नरेन्द्र सिंह नेगी जी के इस गीत को नये दौर के गायक संगीतकार और फिल्मांकन टीम ने लोगों के सामने परोसा है। नेगी जी के कई ऐसे गाने है जिन्हें सुनकर श्रोता खो जाते है पर जब उनका फिल्मांकन होता था तो गाने की आत्मा मर सी जाती थी। जो शब्द नेगी जी ने गढ़े थे उनके साथ न्याय नहीं हो पता था । पर इस बार लोगों को निराश नहीं होना पड़ा लोगों के अंतरात्मा तक इस विडियो गीत ने जगह बनाने के साथ साथ उन्हें झकझोर कर एक ऐसी चोट की है जब भी श्रोताओं को इस गीत का ध्यान आता है तो वह अंदर ही अंदर रोने लग जाता है। भले उसके चेहरे पर नकली ख़ुशी हो पर अंदर से वह अपने आप अपनी सरकारों को कोसता जरुर है।
पांडववास ने "घुगुती बसुती" और "फुलारी" गीतों के माद्यम से उस वर्ग को वापस अपने पुराने अतीत में पहुँचा दिया है जो उन्होंने गाँव में जीया था। तथा वह रोजगार के लिए अपने गाँव अपने मुल्क को छोड़ कर शहरों की तरफ चले गए थे इन गीतों को नयी पीढ़ी भी हाथो हाथ ले रही है। भले अभी उत्तराखंड के पहाड़ी गाँव में यू tube की पहुँच न के बराबर हो। जिस कारण कई लोग इन गीतों को नये रंग नये फिल्मांकन यू कहें नये आर्ट के साथ हाल फिलाल न सुन सके। पर एक वह वर्ग जो सोशियल मिडिया से जुडा हुआ है उसे इन गीतों ने चिन्तन करने पर मजबूर कर दिया है। कि बिगत 16 सालों में जिस प्रकार से पहाड़ों से पलायन बढ़ा है गाँव के गाँव खाली हो गए है। एक गाँव खाली होने से मतलब उसकी पूरी संस्कृति का खत्म हो जाना। आप शहरों में जितनी मर्जी कोशिश कर लो अपनी संस्कृति को बचाने की संस्कृति को उस रूप में नहीं संजोकर रख सकते जिस प्रकार से गाँवों में होती है। इस पहले भी पांडव वास के कई बेहतरीन गीत बाजार में आये है । रचना गीत ने भी उत्तराखंडी संस्कृति को विश्व पटल पर ले जाने में अहम् भूमिका निभाई थी इस गीत को हिंदी और पहाड़ी फोक को मिलकर बनाया गया था। अपांडव वास टीम ऐसे कई गीतों को लोगो तक लेकर आयेंगे।

Thursday, 9 March 2017

साहित्यकार चिन्मय जी की पैली बरसी पर द्वी सब्द


जब तक लोक साहित्ये य छतरी रालि तब तक चिन्यम जी कि याद बि बरोबर औणी आली !!
दुन्या मा औणु अर दुन्या बिटि जाणु परमेसुरा हथ मा च। पर औण अर जाणा बीच जाण वळू हमारा बीच अपड़ि ज्वा छाप छोड़ जांदु, वांकि भरपै हमारि भरसक कोसिसा बाद बि नि ह्वे सक्दि। बस, जब-जब तौं पि़त्र्वी याद औंदि त तौं पि़त्र्वा ऐथर हम गौ बंध ह्वे जंदां। चेतन चोळा छोडुण सि पैली तौं पि़त्रू बिटि ज्वा सीख अर आसिरवाद मिली, वां खुणी एक बार न बल्कि बार-बार इस्मरण कनू हम अपड़ु फर्ज समझ्दां।

आज सि ठीक साल भर पैली ठेठ गुजराता छोड़ बिटि साहित्य स्यवा मा लग्यां, छुटा भुला गीतेश नेगीन् फोन पर जब य खबर सुणैं कि ‘साहित्यकार चिन्मय सायर अब हमारा बीच नीन’। गीतेशा यूं सब्दू पर बिस्वास नी ह्वे। फौरन सायर जी का मोबैल लम्बर 9634670194 पर वूं तैं टटोळनै कोसिस कै। अपड़ा मन मा सोची कि उन्नै बिटि हमारा बीच घुलीं-मिलीं आवाज सुणैली- हलो! भुला ऽऽ ! अर मि तपाक ‘ भाई साब ऽऽ नमस्कार!!!’ ब्वनू तयार रवूं। पर उन्नै बिटि वूंकि गम्भीर आवाजै जगा, वूंकि ब्वार्या ब्वल्यां यूं सब्दू पर मन मारी बिस्वास पक्कू कन प्वड़ि- ‘ससुर जीन् दस मार्च द्वी हजार सोळौ तैं आखिरी सांस ले।’ यिं खबर सूणी तैं गीतेशा फोन कन्ना बाद धुकधुक्या जु बादळ कट्ठा ह्वे छा वू छांटा ह्वे छा वु दिल मा गैरु घौ कैकि चिन्मय जी की फकत याद छोड़ गेनी। एक इना बग्त पर जब्कि हमारि भाषा अपड़ी जगा बणौणू तैं छटपटौणी च, चिन्मय सायर जना बड़ा साहित्यकारो हमारा बीच बिटि जाणू, हमारा साहित्यो भौत बड़ु नुकसान ह्वे।
चिन्मय सायर जी कि साहित्यिक जात्रा वूंका सुरेन्द्र सिंह चैहान मूल नौ बिटि सुरु होंदि। पर भरसक कोसिसा बाद बि सुरेन्द्र सिंह चैहान बिटि चिन्मय सायर बण जाणा हालात कबि मालूम नि ह्वे सक्नी। जथगा बार पूछी, हंस्दि-हंस्दि टाळ गेनी। पर इथगा सब्बि जणदन कि 17 जनवरी उन्नीस सौ अड़तालिसा,ै पौड़ी जनपद, रिखणी खाल बिलौका अन्दरसौं नौ का गौं मा, मयाळू मां चन्दा देब्या कोख बिटि खुशहाल सिंह चैहान जी का गुठ्यार मा आपौ जलम ह्वे।
पढ़ै-लिखै कि बुन्याद गौं का नजीकै इस्कूल मा प्वड़ि। अगनै एम.ए. तक स्या पढ़ै-लिखै, छोरा-छापर्यू जन ठोकर खै-खै मिली। लुपड़ा उमुरौ कुछेक बग्त, बाॅम्बै मा बि काटी। घौर ऐकि द्वी बार मास्टरी छोड़ी। पर आखिरी मा मास्टरी मा ही सकून मिली। सन् द्वी हजार आठ मा हैड मास्टरी बिटि रिटैर होणा बाद हौळ-तांगळ अर पुगड़ा-पटळौं कि धाण दगड़ा साहित्य स्यवा मा जुट्यां छा। गौं मा कम्प्यूटर बि रख्यूं छौ त दूर आपस मित्रू दगड़ा ब्वन- बच्याणू मौबैल बि। पर बिस्वास कबि बि कैका मुंड मा नी ढोळी। हाथन ही तमाम चिट्ठी पत्री लेखणा रैनी। चिन्मय जी की चिठ्यूं का ऐंच ‘शब्द संधान’ नौ का द्वी सब्द पढ़दि बिथेक कबीरौ खाकू दिमाग मा ऐ जांदू छौ।
दरसल, चिन्मय जी हमारि लिख्वार बिरादर्या वीं सोच का अग्ल्यार छा जौं सदानि यू पक्कू बिस्वास रै कि हमारा गौं-गौंळौं की भाषन् ही हिन्दी भाषा मजबूत ह्वे। इलै गौं-गौळौं की यिं भाषा तैं बचैण जरुरी च। पर हमारि अजक्यालै लोक भासै दसा अर दिसा देखी चिन्मय जी खुस नी छा। आपन एक चिट्ठी मा अपड़ि य पिड़ा इन लेखी- ‘अफसोस च! लेख्ण वळौं कु ना,.....बल्कण वूं कु तैं, जु गढ़वाळि ह्वेकि बि गढ़वळि पढ़ण-लेख्णै नी जण्दन। य सिख्ण समस्या समझ्दन। एक जगम बेधड़क लेख्यूं बि च कि-
लोग/ब्वे ;भाषा,जन्मभूमि, राष्ट्र।’
ैडुण सि बढ़िया
कटाणा छन.....
अर/म्यार लाटा
टै लटकै/ झटकाणा छन!!!
चिन्मय जीन् हिन्दी अर गढ़वाळि द्वी भाषौ मा खूब लेखी। गढ़वळि कबिता ‘पसीनै खुसबू’, ‘तिमलाऽऽ फूल’, ‘मन अघोरी’ अर ‘औनार’ किताब्यूं मा सुनागण जन चमकिणी छन। अन्धविस्वास पर यिं चोट देखा-
म्यर मुल्कौ जगरी
रात हूंण पर/लगांद रांसा
अर, फजल हूण से पैल
से जांद
लोग खुस छन कि/ यनम मवसि ह्वे जांद।
अजक्याळै भाग दौड़ वळि जिन्दगी पर चिन्मय जी की नजर देखा दि-
खाणा छल, पींणा, हंसणा छन / रूंणा छन
पण, ऐ जिन्दगी त्वे थैइ, क्वी-क्वी जींणा छन।
कबितौं मा मजबूत पकड़ होणा बाबजूद बि चिन्मय जी छर्क्या कब्यूं का जना लटका-झटकों सि दूर रैनी। एक-आत बार कबि मंच पर गै बि ह्वला पर वुन अफु तैं वे खांचा मा फिट नि समझि। प्रसिध्यू तै सौल-दुसाला ओडुण सि बढ़िया वून अपड़ा काम मा मग्न रैकि सिद्ध होण सहि समझी।
चिन्मय जी हलन्त, नवल, दुदबोली, बाल प्रहरी, शैलवाणी, हिमशैल मा चिन्मय जी बरोबर लेखणा रैनी, छपणा रैनी। गढ़वाळि मा नप्यां-तोल्यां सब्दू दगड़ा जु भौ चिन्मय जी का लेख्यां मा देख्ण मा मिल्दू, वू हौरि कक्खि खुज्योण पर्बि नि मिल्दू। इन ब्वन मा बि क्वी बड़पन्नै नी कि चिन्मय जीन् जु बि लेखी, दमदार लेखी। मन लगै कि लेखी। गैरा मा झांकी न, गैरा मा उतरी लेखी।
चिन्मय जी कु योगदान कुछैक पन्नो मा समेटणू सौंगु नी। द्वी किताब पे्रस मा छै। अज्यूं बि चिन्मय जी, थकी नी छा। वूं सि, अबि बि भौत उम्मीद छै। पर बिधातन अपड़ि हठपनै कु जु सांसू दिखै, वांकि उम्मीद, कै तैं बि, कतै नी छै।
चिन्मय जी आखिरी तक अपड़ि लोक माटि मा डट्यां रैनी। कक्खि उड-फुड भागी नीन्। यु ये लोक माटा दगड़ा चिन्मय जी कु गैरु पिरेम भौ हि छौ कि पराण बि वूंन अपड़ा माटा मा हि त्याग्नि। म्यरा मोबैल मा चिन्मय जी कु लम्बर आज बि मौजूद च। पर यिं बात जाणी-सुणी हौरि बि खुसि होंदि कि वे ही लम्बर बिटि वूंकि कुटुम्बदार्या बि हम दगड़ा अपड़ैसा तार जोड़ी रख्यां छन।
साहित्य तैं अगर हम एक छतरु माण ल्यां त् इन समझा कि चिन्मय जी का जाणन् छतरै एक सीक सि टूट ग्या। पर चिन्मय जीन् अपड़ा ठोस कामा बदौलत, ये छतरा तैं अपड़ि तिरपां बिटि जु बल अर टिकणै सामर्थ दे, वां तैं सब्दू मा बंधणु बड़ू मुस्कल च। फिर्बि इथगा जरूर बोल सक्दां कि जब तक लोक साहित्ये य छतरी रालि तब तक चिन्यम जी कि याद बि बरोबर औणी राली !! बरोबर औणि राली!!


श्रदांजलि सुमन
नरेन्द्र कठैत जी की तरफ बटि
10 मार्च 2017



Wednesday, 8 March 2017

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