Tuesday 14 February 2017

बिसरदि भाषा


बिसरदि भाषा की मि पैलुड़ी बणाणु छौ।
हर्चदा गढौळी सब्दूं तै कबितौ मा सजाणु छौ ।।

भोळ नि पुछ अणवोई पीढ़ी,
हमारि बी रै होलि क्वी भाषा बोली ।
तब ढुढण हमन या भाषा कि कख गै होलि।
तुम परदेसी भै बन्ध भी अपड़ा नौनो तै यी भाषा सिखावा ।
हमारि पूवर्जो की यी पुस्तैनी विरासत तै बिसरण से बचावा ।।
इस लिंक पर देखिये - गढ़वाली सुपरहिट फिल्म भाग-जोग
अपड़ी तरक्की दगड़ी तुम यी भाषै तरक्की बी कैर दैवा।
केवल गीत गाणो मा ना, यी तै बोल चाल मा बी अपनावा।
थड़या चैंफला लगा तुम अखणा-पखणा बी तुम बोला।
माटा मा मिन से पैली तुम अपड़ा आंखा खोला।।
(भाग-जोग ) पार्ट दो को इस लिंक ओपन करके देखिये,
राजेस्थान्यून राजेस्थानी पंजब्यून पंजैबी बोली ।
हम पहाड़यून अपड़ी भाषा बोलण किलै छोड़ी ।
यी भाषा बोलण मा किलै कना छा तुम सरम ।
अरे या त हमारि संस्कृति च यी च हमारू धर्म।।
इस लिंक पर देखिये । एक ऐसा गीत जिस सुनकर आपको अपने खोये हुए लोग की याद आ जाएगी।
रचि दया तुम बी एक साहित्य अपड़ी यी भाषा मा ।
भिगी जावा तुम बी यू गढ़ौळी सब्दू का चैमासा मा ।
ज्वा रीत चनी च यी रीत तै तुम बणेकी राखा ।
अपड़ी भाषा तै तुम कैकी समणी कम नि आंका।।

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