मै नारी हूँ !
मैं केवल मूरत नही, मै नारी हूँ !
मैं भोली सूरत नही, मैं चिंगारी हूँ !
मुझे घर की चार दिवारों में मत बाँधों
कोमल भले हूँ पर मेरी शक्ति को कम मत आँकों।
मैं केवल मूरत नही, मै नारी हूँ !
मैं भोली सूरत नही, मैं चिंगारी हूँ !
बुलंद करने दो मुझे भी अपनी आवाज को,
बीर रस के स्वर में बजाने दो मुझे अपने साज को।
मैं गौरा हूँ, मैं तीलू हूँ, मैं ही टिंचरी माई हूँ,
अपनी लोहे की जंजीरों को काटने मैं आयी हूँ।
इतिहास सक्ष्य हैं !
मैने अंदोलनों में शिरकत की है जब-जब,
विजय सुनिश्चित हुई इस धरा पर तब-तब।
आज हमारे भय से हिमालय शिखर पिघल पड़े है,
आज हम फिर अपने घरों से निकल पड़े है।
ये समस्त पहाड़ मुझसे है !
ये समस्त बहार मुझे से है !
मैं ही पहाड़ की दुशवारियों को पार करूँगी,
मै ही पहाड़ की कठिनाओं को तार-तार करूँगी।
मैं केवल मूरत नही मै नारी हूँ !
मैं भोली सूरत नही ? मैं चिंगारी हूँ !
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बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंdhanyabad didi
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