Thursday 7 July 2016

बंदे मातरम्। बंदें मातरम्। हे माँ जग जननी भारत भूमि, त्वेकू सत्-सत् प्रणाम। Most Popular Hindi Blog Uttarakhand Garhwali Poem


बंदे मातरम्। बंदें मातरम्।
हे माँ जग जननी भारत भूमि,
त्वेकू सत्-सत् प्रणाम।

त्यारा हि चरणू मा छोड़ू माँ मि अपड़ी सांस,
त्वेपर नि आण दयोलू  माँ मि क्वी बी आंच।
हे माँ कर्म भूमि सत्-सत् नमन्,
बंदे मातरम्।

यू तन बी त्यरू मन बी त्यारू धन बी त्यारू,
निछावर त्वेपर सब कुछ म्यारू माँ।
हे माँ करम भूमि सत्-सत् नमन्,
बंदे मातरम्।

गर्व छ हमतै जू तेरि गोद मा जलम् ले,
गर्व छ हमतै जू त्यारू लाड-प्यार पै।
हे माँ जलम भूमि अभिनन्दन्,
बंदे मातरम्

हिमवंत का हम छा माँ तेरा रक्षक,
दिन रात बण्यां रौला माँ तेरू कवच।
हे माँ पालन भूमि त्वेकू श्रदा सुमन,
बंदे मातरम्।


चार ऋतु तेरू माँ श्रृगार करांदन,
गंगा जुमना माँ त्वे स्नान करांदन।
हे तारण भूमि त्वे सत सत नमन,
बंदे मातरम्।

जू बिद्या कू मे तै मिल्यू ज्ञान,
वु ज्ञान तेरा चरणू मा करणू छौ दान।
हे माँ उद्वार भूमि सत सत नमन,
बंदे मातरम्।

तू जल मा तू नभ मा तू ही गीता मा,
तू ही रिस्तों मा तू ही माता पिता मा।
हे माँ सींचित भूमि सत सत नमन,
बंदे मातरम्।

तेरि सेवा मा पुण्य तेरि सेवा मा स्वर्ग,
सब औलाद बराबर त्वेकू नि करदी तू फरक।
हे माँ स्र्वग भूमि सत सत प्रणाम,
बंदे मातरम्।

हैरि भैरी चदरी ओढ़ी मा तन पर तेरि,
फूले की गगरी पहनि माँ बदन पर तेरि।
हे माँ स्र्वग भूमि सत सत प्रणाम,
बंदे मातरम्।

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