सुनिय मेरी एक गढ़वाली ग़ज़ल बोल द्यों क्या
❝बोल्द्यो क्या!❞
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बंद भीतरूं का सब राज बोल्द्यो क्या ?
हिया भितर क्या च त्येरा आज बोल्द्यो क्या?
यूँ ख़रड़ी डाँड्यूँ देखि कि जू तुम रोणा छा,
कैन काटी हैरी डाँडी कू यू बाँझ बोल्द्यो क्या?
आज तुम बेरोजगार नौनो कि खजी कन्यणा छा,
कैन लागाई स्यूं पर गौन्छी खाज बोल्द्यो क्या?
अब चखलों तै वापस बुलाणू कू धाद मना छा,
स्यूं पर पैली कैने छुले छौ बाज बोल्द्यो क्या?
बेटी बचाओ कू नारू जू जोर से लगाणा छा तुम,
पर कोच छीन-भिन कनू तौं कि लाज बोल्द्यो क्या?
जू तुम हमारि सेवा सौळयूँ जवाब नि देणा छा,
कैक प्रताप पैर्यु तुमारु यू ताज बोल्द्यो क्या?
"खुदेड़"अब जादा दिन तक चुप ने रै सकदू,
कौ-कलमन जनतन्त्रे आवाज बोल्द्यो क्या?
प्रदीप रावत ❝खुदेड़❞
14/04/2018
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