घनाक्षरी छंद छः चरणों का वर्णनित छंद है। इसमें 31वर्ण होते है, घनाक्षरी छंद में केवल वर्णों की गिनिती की जाती है आधे शब्दों को गिनती में शामिल नहीं किया जाता है। इसके पहले तीन चरणों में आठ वर्ण होते है और चौथे चरण में सात वर्ण आते है। तथा 31 वर्ण गुरु होता है। और जरुरी नहीं कि 31 वर्ण तुक हो।
जैसे -: 8+8+8+7 = 31अंत में गुरु
जैसे -: 8+8+8+7 = 31अंत में गुरु
रात रै मे उठा पोड़, सुपन्या मा स्या नि आयीे।
सुबेर धारा मा ग्यों मि, स्या तख बी नि पायी ।।
सारा दिन तैंकी खुद, तैं कि पराज मा काटी।
खलबट समणी एै, कख रै होली लाटी।।
वा मे हेनि मि वीं हेनू, मन गौळा भेंटेणो छौ।
भैज्या सौरास ज्यू लगि, भूल ग्यों अपडू गौं।।
तैंकी तिरपे हाँ व्हे जा, बस डोला लेकिएै जौं।
बिना टिप्ड़ा मिल्यां तैंकू, ली जौं तै अपड़ा गौं।।
प्रदीप रावत "खुदेड"
04/09/2017
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