Thursday 7 September 2017

गढ़वाली घनाक्षरी छंद- इसी प्रकार की मेरे द्वारा लिखी एक गढ़वाली घनाक्षरी छंद

घनाक्षरी छंद छः चरणों का वर्णनित छंद है। इसमें 31वर्ण होते है, घनाक्षरी छंद में केवल वर्णों की गिनिती की जाती है आधे शब्दों को गिनती में शामिल नहीं किया जाता है। इसके पहले तीन चरणों में आठ वर्ण होते है और चौथे चरण में सात वर्ण आते है। तथा 31 वर्ण गुरु होता है। और जरुरी नहीं कि 31 वर्ण तुक हो।
जैसे -: 8+8+8+7 = 31अंत में गुरु

                               रात रै मे उठा पोड़, सुपन्या मा स्या नि आयीे।
                               सुबेर धारा मा ग्यों मि, स्या तख बी नि पायी ।।

                               सारा दिन तैंकी खुद, तैं कि पराज मा काटी।
                               खलबट समणी एै, कख रै होली लाटी।।

                              वा मे हेनि मि वीं हेनू, मन गौळा भेंटेणो छौ।
                              भैज्या सौरास ज्यू लगि, भूल ग्यों अपडू गौं।।

                              तैंकी तिरपे हाँ व्हे जा, बस डोला लेकिएै जौं।
                              बिना टिप्ड़ा मिल्यां तैंकू, ली जौं तै अपड़ा गौं।।


प्रदीप रावत "खुदेड"
04/09/2017

No comments:

Post a Comment

गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली

 गढ़वाल के राजवंश की भाषा थी गढ़वाली        गढ़वाली भाषा का प्रारम्भ कब से हुआ इसके प्रमाण नहीं मिलते हैं। गढ़वाली का बोलचाल या मौखिक रूप तब स...