चूल्हा, चौकी मैं सजाऊँ
जदेरू उरखेला मैं लगाऊं,
पर कोई मुझे यह बताए
वैसी मां कहां से लाऊँ ।
गाय बछिया फिर मैं पालूं
घर द्वार में उन्हें बसा लूं,
पर दूध दोहती शाम सबेरे
वैसी मां कहां से लाऊं।
घर को रोशन जगमग कर दूं
अंधकार को दूर भगा दूं,
पर सिल्ले जलाकर मुझे पढाए
वैसी मां कहां से लाऊँ ।
सुंदर हार, मोतियों की माला
कंगन चूडी बिंदी लाऊँ,
पर रिंगाल से बाल कटोरती
वैसी मां कहां से लाऊँ ।
टी.वी. रेडियो होमथियेटर
वायलेन, वीणा सब मैं लाऊँ,
पर थपकी देकर मुझे सुलाए
वैसी मां कहां से लाऊँ ।
घुटने जब मेरे छिल जाएं
पहले मारे और चिल्लाए,
फिर अपने आंसू बहाए
वैसी मां कहां से लाऊँ ।
लौट सकता हूं गांव में अपने,
बुन सकता हूं सारे सपने
पर द्वार पर खडी बाट जोहती
वैसी मां कहां से लाऊँ ।
जदेरू(हाथ चक्की), उरखेला(धान कूटने का स्थान), सिल्ले (लौ प्रज्वलित करने वाली लकडी),रिंगाल(देशी कंघी)
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घर द्वार में उन्हें बसा लूं,
पर दूध दोहती शाम सबेरे
वैसी मां कहां से लाऊं।
घर को रोशन जगमग कर दूं
अंधकार को दूर भगा दूं,
पर सिल्ले जलाकर मुझे पढाए
वैसी मां कहां से लाऊँ ।
सुंदर हार, मोतियों की माला
कंगन चूडी बिंदी लाऊँ,
पर रिंगाल से बाल कटोरती
वैसी मां कहां से लाऊँ ।
टी.वी. रेडियो होमथियेटर
वायलेन, वीणा सब मैं लाऊँ,
पर थपकी देकर मुझे सुलाए
वैसी मां कहां से लाऊँ ।
घुटने जब मेरे छिल जाएं
पहले मारे और चिल्लाए,
फिर अपने आंसू बहाए
वैसी मां कहां से लाऊँ ।
लौट सकता हूं गांव में अपने,
बुन सकता हूं सारे सपने
पर द्वार पर खडी बाट जोहती
वैसी मां कहां से लाऊँ ।
जदेरू(हाथ चक्की), उरखेला(धान कूटने का स्थान), सिल्ले (लौ प्रज्वलित करने वाली लकडी),रिंगाल(देशी कंघी)
डा. राजेश्वर उनियाल 9869116784
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