चकबंदी आन्दोलन के कार्यकर्ता अनूप पटवाल ने एक सार्थक प्रयास किया है। उन्होंने अपने गाँव पनाऊँ चोपडकोट थैलीसैंण (राठ ) पौडी, में खाली पड़े बंजर खेतों में किवी और अखरोट के पेड़ लगाकर यह साबित कर दिया है कि अगर इच्छा शक्ति हो तो पहाड़ की खेती लोगों को आर्थिक रूप से सक्षम बना सकती है। अनूप पट्वाल ने अपने खेतो में 300 पौधे किवी के और 150 पौधे अखरोट के अपने खेतो में लगाये है । अनूप पटवाल और उसका भाई इन खेतो की देख रेख करते है।
चकबंदी आन्दोलन के साथ काफी एक्सपर्ट जुड़े है जो ऐसे युवाओ का मार्गदर्शन कर रहे है।
आपको बता दे किवी की भारतीय बाजार में बड़ी तेजी से मांग बढ रही है। एक किलो किवी की पैदावार में तीस रूपये की मेहनत लगती है पर बाजार में यह तिन सौ रुपये किलो बिखता है। कीबी और अखरोट का एक पेड़ पचास से साठ किलो फल उत्पादन देता है।
पौड़ी के चकबंदी जागर यात्रा में भी ऐसे युवाओं को सम्मनित किया गया जो कृषि को अपना रोजगार बना रहे है। तथा उनसे उनके अनुभवों को पूछा गया। खंड्युसैण से आये अनिल रावत ने भी अपने अनुभव लोगो के सामने रखे। अनिल रावत अपने क्षेत्र में मछली पालन के साथ सब्जी उत्पादन भी कर रहे है। आज उनके साथ गाँव के कई परिवार जुड़ गए है। इसके आलवा वह भी किवी अखरोट के पौधे लगाने की जल्द शुरुआत करने जा रहे है। ऐसे युवाओं के सामने पहाड़ में बिखरी जोत भले आड़े आती हो पर इन्होने ये जरुर बता दिया कि पहाड़ रोजगार के साथ अच्छा नाम दाम भी दे सकता है। हाँ ये लोग भी मानते है कि सरकार जितनी जल्दी चकबंदी करेगी उतनी जल्दी पहाड़ के हालत बदलेंगे कई युवा तैयार बैठे है कृषि और बागवानी को अपने रोजगार से जोड़ने के लिए।
बहुत बढ़िया कम किया!
ReplyDeleteHello Sir, I get Anoop patwal contact number?
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