Monday 16 January 2017



काणी ब्वे कू सबसे छोटू पिल्ला झबरू छौ तैकू नौ।
न स्यू गोणी बगान्दू छो, न स्याल हटगांदू छो,
लेंडी बोल्दू छौ तैकू तै सरू गौ।

कबी कैन तैते नि पुचकारी।
बड़ा त छोड़ा छोटोन बी स्यू दुत्कारी।
आत्म सम्मान ते टेश पहुंची तै का वे दिन,
जैदीन बोली लोखून तू कुत्ता का नौ पर दाग छै।
निढाल व्हेगी स्यू तै दिन,
पर तै का मन मा बी जगणी आत्म सम्मान कि आग छै।
इस लिंक पर देखिये गढ़वाली सुपर हिट फिल्म भाग-जोग पार्ट -1
बैठी कि कोलणा पैथर कन बैठी स्यू चिंतन मन-मन ।
करलू मी बी इनू काम याद करला लोग जन।
समय-समय कू फेर च वक्त-वक्त कि बात।
सोमवार कू ढलदू दिन छो मंगल की घनघोर रात।
एक चोर, चोरी कनू कू गौंमा आयी।
जनि वेन मोर संगारे तरफ हाथ बढ़ाई।
तनि झबरू की नींद खुली वू भौंकण बैठी।
सूणी की झबरू अवाज़ चोर अटगण बैठी।

भौ-भौ कै की सारा गौंमा व्हेगी हल्ला।
किले भौंकी होलू झबरू आज देखि औला चला।
चोर कुत्ता का ऐथर लोग झबरू का पैथर।
भागम भागी हटगम हटगी,
लटगम लटगी भटगम भटगमी।
इस लिंक पर देखिये गढ़वाली सुपर हिट फिल्म भाग-जोग पार्ट -2
मिनट दसेक मा झबरून चोर ते काट खायी।
चार दिन बाद विचरू चोर स्वर्ग सिधार ग्याई।
सरा गौं पट्टी मा व्हेगी हाम।
तै दिन बैठी की झबरू की व्हेगी बडू नाम।
तै दिन बटी चोरू की हिम्मत नी वाई
तै गौं मा कभी चोरी कनू कू नी आयी
लोखून घारूमा तल्ला लगान छोड़ देन
वारसू बटी लगया तल्ला तोड़ देन
इस लिंक पर सुनिए -किस दौर से गुजर रहा है अपना उत्तराखंड सुनिए उत्तराखंडी जाग्रति गीत
झबरू का भरोसा छोड़ दे लोखून घर वार।
तै दिन बटी मान सम्मान मिन बैठी झबरू तै हर द्वार।
वक्त-वक्त की बात च समय-समय कू फेर
चुनाव कू चलणू प्रचार देर सवेर।
जनि प्रचार कू थमी शोर।
नेता जी का मन बैठी डौर,
न हो जो मी हौर।
नेता जी न एक तरकीब सोची।
रूपयों कू थौला लेकि गौमा पहोंची।
पैंसा देकी मि जनता का वोट लेन्दो।
पैंसों कि दगड़ा दारू भी देन्दो।
इस लिंक पर देखिये एक सुंदर गढ़वाली खुदेड गीत। आपको अपनों की याद आ जाएगी
झुपक-झुपक नेता गौमा आयी।
जनि वेन मोर संगार कि तरफ हाथ बढ़ायी।
झबरू नेता जी देखि की भौ-भौ भौंकी।
नेता झबरू देखि की चौंकी।

नेता ऐथर-ऐथर झबरू पैथर-पैथर,
सरा गौमा हल्ला व्हेगी भारी।
लोखून लाठा थमवा हाथ मा धारी।
नेता, झबरू, ऐथर-ऐथर लोग पैथर-पैथर।
नेता अगने-अगने झबरू, लोग पिछने- पिछने।
सुनिए विमल सजवाण की आवाज में गढ़वाली गीत फ्योलोड़ी सी हैन्सदी
अटगद-अटगद नेता जी की फूल गई सांस।
अब त नेता जी न छोड़ दे बचणे आस।
नेता जी तै झबरू दे काट।
नेता ते व्हेगी झटपटाट।
चार दिन बाद अखबार मा खबर छपी खास।
नेता जी ते झबरून काटी छौ,
तै झबरू कू व्हेगी स्वर्गवास।

बिचारू झबरून नेता जी कू जहर नि सै साकी।
काटी त झबरून छौ, पर स्वी ज़िंदा नि रै साकी।
जनता खरबूजा बणी च नेता बणगी छुरी।
नेता ते हम काटा चा नेता हमते काट,
किसमत बिचरी जनते कि होंदी बुरी।
xx

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