Monday, 7 November 2016

मै उत्तराखंड बोल रहा हूँ Garhwali Poem By Surendra Semwal


















राजनीती के राजाओं से मैं।।
हर दिन हर पल लुट रहा हूँ।।
पवित्र मेरी प्रकृति फिर भी ।।
दूषित लोगों से हरपल घुट रहा हूँ ।।
इस लिंक पर देखिये। जगा रे उत्तराखंडवास्यूं जगा रे जाग्रति गीत क्या हलात हो गयी है रमणीय प्रदेश की जरुर सुने।
कराह रहा हूँ दर्द पलायन से ।।
अपनों की राहें ताक रहा हूँ ।।
मै उत्तराखण्ड बोल रहा हूँ ।।
गढ़वाली भाषा की सोशियल मिडिया पर वारयल कविता जो आपने भी जरुर शेयर की होगी।
खेत खलियान सब शूनें मेरे।।
खाली घरों में जानवरों के डेरे।।
बिहारी नेपाली रोज मुझे डराये ।।
मेरे अपने सब हुए हैं पराये ।।
इस लिंक पर देखिये । एक ऐसा गीत जिस सुनकर आपको अपने खोये हुए लोग की याद आ जाएगी।
न चाहकर भी किसी तरह मै ।।
परदेशियों संग घुल रहा हूं।।
मै उत्तराखण्ड बोल रहा हूँ।।
इस लिंक पर देखिये - गढ़वाली सुपरहिट फिल्म भाग-जोग
न मेरे काम आया मेरा पानी।।
न काम आया यहां की जवानी ।।
सब भागें है छोड़ के मुझको ।।
कहकर मजबूरी बस सारे खुद को ।।

फिर भी मैंने उम्मीद न तोड़ी ।।
अपनों के लिए सब झेल रहा हूँ ।।
मै उत्तराखण्ड बोल रहा हूँ।।
(भाग-जोग ) पार्ट दो को इस लिंक ओपन करके
जो थे कभी बोरोधी मेरे ।।
ओ ही मुझ पर राज जमाये।।
चुप क्यों हो तुम मेरे अपने ।।
हाल पर मेरे शहीद शर्माएं ।।

किसी तरह बस जी रहा हूं ।।
लेकिन कब तक ये सोच रहा हूँ।।
मै उत्तराखण्ड बोल रहा हूँ।।

संस्क्रती नाम की बात रही न ।।
सब बन बैठे हैं पंजाबी हरयाणवी ।।
बढूंगा कैसे आगे दुनिया में ।।
मेरे शर्म करते है गढ़वाली कुमाउनी ।।
मै बस दूर से देख देख रहा हूँ।।
अपनों के हाल पर सोच रहा हूँ ।।
मै उत्तराखण्ड बोल रहा हूँ।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~
पंक्तियाँ - सुरेन्द्र सेमवाल

1 comment:

  1. सेमवाल जी बहुत सुंदर कविता फूल रूपि सराहना सदैव आपका लेखनी मा। जश देयाँ देवतौँ यश अर गुणों कु भण्डार जुग जुग तक हैरा भैरा रय्याँ। आपकु शुभचिंतक । शंकर ढौंडियाल।

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