Sunday 25 September 2016

अंगुळी मा लगि चुनाव कि स्या; Garhwali poem

















अंगुळी मा लगि चुनाव कि स्या;
भले मिटग्ये होलि नेता जी हमारि।
पर तुमारि करि बादों कि कुटेरी अबी बी ताजी च।
रात बिरात भरssss 
हमते बिजाळी देंदी तुमारि वा वाच;
अबी वी दिसा मा क्वी काम नि वाहि
अबि वाँ पर क्वी चरचा नि काई।
न अब तुमारा दरसन होणा छन;
बस दीवाल पर पिछला चुनाव का पोस्टर लग्या छन।
यू पोस्टर तुमारा वादों की याद दिलंदन।
भर्तुली दादी ते तुम बोली ग्या छा या बात;
मि जीत जौलू त पेन्सन आली तेरा हाथ।
पेंसने मुख्जत्रा देखणू भर्तुली दादी मोनि निच;
बस बड़डाट लग्युच
पेन्सन भूकी पे देंदू तबी प्राण छोड़लू।
एकी ते भर्तुली दादी ते मुक्ति दे द्य्वा।
अपडू कारयू वादा निभ्य द्यावा 
तुमारु घोसणा पत्र; चैतू ददों दीवाल पर टान्गुच;
तुमारु करयु वादा पुरू होलू सारा लग्युच
काला अंगारां तैं घोषणा पर लकीर मरिच
मेरा नोना ते नोकरी मिलेली; आस धरिच
चैतू दादा नोना ते क्वी अपड़ी नोनी नई देणू
की नोनू घार माँ हि रैंदु
नाती मुखजतरा देख्णु कू तैका नोनो ब्यो कैर द्यावा
तैकि नोने बेरोजगारी पेंसन लगे दयवा

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